क्या सपा और बसपा गठबंधन के डर से नरेन्द्र मोदी बनारस से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं?
By विकास कुमार | Published: January 15, 2019 03:38 PM2019-01-15T15:38:35+5:302019-01-15T15:44:50+5:30
गोरखपुर से हिन्दू ह्रदय सम्राट माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ की सीट सपा और बसपा गठबंधन के भेंट चढ़ गई थी. क्या बीजेपी नरेन्द्र मोदी की जीत को लेकर आशंकित है.
देश में लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. आये दिन अब राजनीतिक छीटाकंशी हो रही है जिसमें सभी पार्टियां बराबर सहयोग कर रही हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी विपक्षी नेताओं पर निशाना साध रहे हैं और उधर से भी जवाबी कारवाई हो रही है.
एबीपी न्यूज़ के कार्यक्रम बिहार सम्मलेन में लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने नरेन्द्र मोदी से पूछा है कि क्या मोदी जी इस बार बनारस से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने ये बात इस सन्दर्भ में कहा है कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के बाद नरेन्द्र मोदी के लिए बनारस से चुनाव जीतना मुश्किल हो जायेगा.
हाल ही में ऐसी ख़बरें आई थी कि नरेन्द्र मोदी इस बार का लोकसभा चुनाव बनारस के बजाए पूरी से लड़ेंगे. तेजस्वी भी इसी सन्दर्भ में बीजेपी से पूछ रहे हैं कि क्या नरेन्द्र मोदी इस बार का चुनाव बनारस से लड़ेंगे. क्या मायावती और अखिलेश के गठबंधन के कारण नरेन्द्र मोदी का जीतना बनारस से मुश्किल हो गया है. भारतीय जनता पार्टी को क्या गोरखपुर में हुई हार की याद आ रही है?
गोरखपुर बना था पहला शिकार
ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है कि गोरखपुर से हिन्दू ह्रदय सम्राट माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ की सीट सपा और बसपा गठबंधन के भेंट चढ़ गई थी. ऐसे नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता बनारस में आज भी उतनी ही है जितना पांच पहले थी. स्थानीय लोगों के मुताबिक मोदी के सांसद बनने के बाद बनारस का ट्रांसफॉर्मेशन हुआ है. यह शहर आज देश में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है, ऐसा दावा बीजेपी का भी रहा है. लेकिन जातीय समीकरण विकास और हिंदूत्व के मुद्दे पर भारी पड़ सकता है, ये अंदेशा बीजेपी के भीतर भी घर कर रही है.
तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम में बीजेपी पर आरोप लगाया है कि बीजेपी इस बार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा ले सकती है. खैर यह आरोप एक सामान्य राजनीतिक प्रक्रिया है. लेकिन उनके इस सवाल में दम है कि क्या नरेन्द्र मोदी इस बार का चुनाव बनारस से लड़ेंगे? इस सवाल का जवाब बीजेपी को जल्द से जल्द देना चाहिए, नहीं तो शंका के बादल घने होते चले जायेंगे.