सेना द्वारा जाति प्रमाण मांगे जाने पर तेजस्वी यादव ने किया व्यंग्य, बोला- 'जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की'

By एस पी सिन्हा | Published: July 19, 2022 05:06 PM2022-07-19T17:06:42+5:302022-07-19T17:17:06+5:30

सेना द्वारा जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने के संबंध में राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आरएसएस जाति के आधार पर बाद में अग्निवीरों की छंटनी करेगा। जब सेना में आरक्षण नहीं है तो जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है?

Tejashwi Yadav did sarcasm when army asked for caste proof, said- 'Don't ask caste of a monk, but ask caste of a soldier' | सेना द्वारा जाति प्रमाण मांगे जाने पर तेजस्वी यादव ने किया व्यंग्य, बोला- 'जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की'

फाइल फोटो

Highlights'अग्निपथ' योजना में जाति प्रमाण पत्र के विवाद पर जदयू और राजद का एकमत तेजस्वी यादव ने कहा कि जब सेना में आरक्षण नहीं है तो फिर जाति प्रमाण पत्र क्यों मांगा जा रहा हैभाजपा जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन अग्निवीरों से जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है

पटना: भारतीय सेना में भर्ती के लिए आई 'अग्निपथ' योजना में अभ्यर्थियों से जाति पूछने के खिलाफ बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू और विपक्षी दल राजद के सुर एक से नजर आ रहे हैं। जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा के बाद राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्दे पर आरएसएस और भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरा है। तेजस्वी ने कहा कि आरएसएस जाति के आधार पर बाद में अग्निवीरों की छंटनी करेगा। सेना में आरक्षण नहीं है तो जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है?

तेजस्वी यादव ने अग्निवीर से जुड़े फॉर्म की प्रति ट्विट करते हुए कहा, "जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की"। संघ की भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन आरएसएस बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75 फीसदी सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75 फीसदी सैनिकों की छंटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत? इससे पहले भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी सेना भर्ती में जाति प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल उठाए।

उन्होंने अपने ट्वीट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को संबोधित करते हुए लिखा कि सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है? जब इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान ही नहीं है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना चाहिए।

इस बीच बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने भी जाति पूछे जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि अग्निवीर में जाति का कॉलम डालकर एक नए विवाद को जन्म दिया गया है। इससे अलग-अलग तरह की भ्रांतियां फैल रही हैं। उधर, जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगने पर विवाद गहराता देख सेना ने विपक्ष के नेताओं के आरोपों का खंडन करते हुए बयान जारी किया है।

सेना के अधिकारियों ने कहा कि सेना की किसी भी भर्ती में पहले भी उम्मीदवारों से जाति प्रमाण पत्र और धर्म प्रमाण पत्र मांगा जाता था। इसे लेकर अग्निपथ योजना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसके अलावा भारतीय सेना के अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान मरने वाले रंगरूटों और सेवा में शहीद होने वाले सैनिकों के लिए धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार अंतिम संस्कार करने के लिए भी धर्म की जानकारी की आवश्यकता होती है।

Web Title: Tejashwi Yadav did sarcasm when army asked for caste proof, said- 'Don't ask caste of a monk, but ask caste of a soldier'

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