विभागाध्यक्ष के रूप में शिक्षक का आचरण बेदाग होना चाहिए: दिल्ली उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 11, 2021 16:44 IST2021-12-11T16:44:39+5:302021-12-11T16:44:39+5:30

Teacher's conduct as Head of Department should be impeccable: Delhi High Court | विभागाध्यक्ष के रूप में शिक्षक का आचरण बेदाग होना चाहिए: दिल्ली उच्च न्यायालय

विभागाध्यक्ष के रूप में शिक्षक का आचरण बेदाग होना चाहिए: दिल्ली उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि विभागाध्यक्ष (एचओडी) के तौर पर एक शिक्षक का आचरण, “बेदाग” होना चाहिए, क्योंकि उसे विद्यार्थियों के साथ बातचीत करने सहित विभिन्न गतिविधियों में शामिल रहना पड़ता है। न्यायालय ने इस टिप्पणी के साथ ही यौन उत्पीड़न की शिकायत के कारण एचओडी के रूप में नियुक्ति न होने से व्यथित डीयू के एक प्रोफेसर की याचिका खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय का अध्यादेश 23वां कुलपति को विभागाध्यक्ष (एचओडी) नियुक्त करने का विशेषाधिकार देता है।

न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव ने कहा कि एचओडी बिना किसी अतिरिक्त पारिश्रमिक के निश्चित अवधि के लिए एक अस्थायी नियुक्ति है और अवधि पूरी होने के बाद, वह अपने मूल पद पर वापस आ जाता है।

अदालत ने कहा, "इस मायने में, यह पदोन्नति जैसी कोई स्थायी स्थिति नहीं है कि इसके इनकार कर दिये जाने से पूर्वाग्रह की स्थिति बनती हो। अच्छे और वैध कारणों से एचओडी के पद से वंचित करने पर ऐसा कोई पूर्वाग्रह नहीं होता है।"

इसने आगे कहा, ‘‘एचओडी के तौर पर एक शिक्षक का आचरण, “बेदाग” होना चाहिए, क्योंकि उसे विद्यार्थियों के साथ बातचीत करने सहित विभिन्न गतिविधियों में शामिल रहना पड़ता है।’’

अदालत ने यह आदेश एक प्रोफेसर द्वारा रसायन विज्ञान विभाग के एचओडी के रूप में एक अन्य प्रोफेसर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दिया। याचिकाकर्ता ने इस आधार पर नियुक्ति को चुनौती दी थी कि वह विश्वविद्यालय में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर है और एचओडी नियुक्त किये जाने का हकदार है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय घोष ने दलील दी कि चेतावनी आचरण नियमों के तहत दंड नहीं है और इसलिए विश्वविद्यालय के लिए याचिकाकर्ता के एचओडी के रूप में नियुक्ति पर विचार करने के लिए कोई रोक नहीं है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से पेश अधिवक्ता संतोष कुमार की दलील थी कि विश्वविद्यालय के अध्यादेश 23वें के संदभ में, अच्छे वैध कारण होने पर वरिष्ठतम प्रोफेसर को एचओडी नियुक्त करने की कोई बाध्यता नहीं है।

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Web Title: Teacher's conduct as Head of Department should be impeccable: Delhi High Court

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