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कर में कमी व सब्सिडी से सीसा प्रदूषण कम करने में मदद मिल सकती है : अध्ययन

By भाषा | Updated: September 6, 2021 16:50 IST

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नयी दिल्ली, छह सितंबर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास और कानपुर के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि कर में कटौती तथा विनियमित पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) क्षेत्र को सब्सिडी मुहैया कराने से बैटरी पुनर्चक्रण से होने वाले सीसा प्रदूषण को कम करने में मदद मिल सकती है।

भारत में सीसा पुनर्चक्रण की समस्या पर दोनों संस्थानों के अनुसंधानकर्ताओं ने सामूहिक रूप से कार्य किया है। सीसा प्रदूषण लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है वहीं पर्यावरण को भी दूषित कर सकता है।

इस दल के अनुसंधान का मकसद उपयुक्त नीतिगत साधनों का पता लगाना था जिससे भारत को सीसा प्रदूषण कम करने में मदद मिल सके। अध्ययन के परिणाम अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'रिसोर्सेस, कंसर्वेशन एंड रिसाइक्लिंग' में प्रकाशित हुए हैं।

अध्ययन के अनुसार आमतौर पर सीसा के पुनर्चक्रमण में शामिल कर्मचारी ‘लेड-एसिड बैटरी’ को जिस तरह से तोड़ते हैं, उससे एसिड (तेजाब) और सीसा मिट्टी तथा वातावरण में फैल जाते हैं। साथ ही सीसा को खुली भट्टियों में पिघलाया जाता है जिससे जहरीली गैसें हवा में जाती हैं। सीसा पुनर्चक्रण का यह तरीका पर्यावरण के साथ ही इस प्रक्रिया में शामिल कर्मचारियों के लिए भी घातक है।

हालांकि, इस प्रक्रिया में लागत कम होने के कारण यह काफी आकर्षक विकल्प है। अनौपचारिक क्षेत्र की उपस्थिति और इसके अवांछनीय परिणाम विकासशील देशों में अधिक हैं जहां लागत और उदार नियमों तथा कानूनों से गैर-विनियमित क्षेत्र को तेजी से बढ़ने में मदद मिलती है।

अध्ययन ने नीतिगत दिशानिर्देश का सुझाव दिया है जिसमें विनियमित पुनर्चक्रण क्षेत्र पर लगने वाले कम में कटौती और सब्सिडी मुहैया कराना है। एक अन्य महत्वपूर्ण तथ्य यह था कि औपचारिक पुनर्निर्माण क्षेत्र के लिए अधिक सब्सिडी से विनियमित और गैर-विनियमित पुनर्चक्रण क्षेत्र बंद हो सकते हैं।

सीसे का उपयोग पेंट, सौंदर्य प्रसाधन, रंग, गोला-बारूद और आभूषण जैसे विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, लेकिन 85 प्रतिशत उत्पादन का उपयोग कर बैटरी उद्योग इस धातु का प्रमुख उपभोक्ता है। सीसा प्रदूषण पर काबू के लिए विभिन्न देशों द्वारा बैटरी अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण पर नियम बनाए जाते रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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