‘तमिल थाई वाज्थु’ प्रार्थना गीत है, गान नहीं: अदालत

By भाषा | Updated: December 10, 2021 16:50 IST2021-12-10T16:50:05+5:302021-12-10T16:50:05+5:30

'Tamil Thai Vaazthu' is a prayer song, not an anthem: Court | ‘तमिल थाई वाज्थु’ प्रार्थना गीत है, गान नहीं: अदालत

‘तमिल थाई वाज्थु’ प्रार्थना गीत है, गान नहीं: अदालत

(इंट्रो में सुधार के साथ)

मदुरै, 10 दिसंबर मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि ‘तमिल थाई वाज्थु’ राष्ट्रगान नहीं, बल्कि केवल एक प्रार्थना गीत है और इसलिए, इस स्तुति को सुनते समय हरेक व्यक्ति को खड़ा रहने की आवश्यकता नहीं है।

न्यायमूर्ति जी आर स्वामीनाथन की एकल पीठ ने 2018 में रामनाथपुरम जिले में रामेश्वरम पुलिस द्वारा ‘नाम तमिलर काची’ (एनटीके) के पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज करते हुए हाल ही में यह फैसला सुनाया।

तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने 24 जनवरी, 2018 को कांची कामकोटि पीठम के शंकराचार्य श्री विजयेंद्र सरस्वती की उपस्थिति में संगीत अकादमी, चेन्नई में आयोजित एक समारोह के दौरान तमिल-संस्कृत शब्दकोश का विमोचन किया था। उस समय ‘तमिल थाई वाज्थु’ बजाया गया, लेकिन उस समय शंकराचार्य बैठे रहे, जिसे लेकर लोगों ने काफी अप्रसन्नता व्यक्त की थी और इसके बाद एक बहस छिड़ गई थी।

टीएनके के मौजूदा सदस्य और उस समय ‘तमिलर देसिया मुन्नानी’ का हिस्सा रहे कान इलांगो और उनके सार्थियों ने रामेश्वर स्थित कांची मठ की शाखा में घुसकर शंकराचार्य के खिलाफ नारेबाजी की थी और उन्होंने कथित रूप से जूते पहनकर मठ परिसर में प्रवेश किया था। जब मठ प्रबंधक ने इसका विरोध किया, तो उन्हें कथित रूप से आपराधिक धमकी दी गई थी। इसके बाद उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इलांगो की मौजूदा आपराधिक मूल याचिका में प्राथमिकी को चुनौती दी गई।

मद्रास उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि इस संबंध में कोई वैधानिक या कार्यकारी आदेश नहीं है कि ‘तमिल थाई वाज्थु’ गाए जाते समय वहां उपस्थित लोगों को खड़े होने की आवश्यकता है। अदालत ने कहा कि यह राष्ट्रगान नहीं है, लेकिन इसके प्रति सर्वोच्च सम्मान दिखाया जाना चाहिए। उसने कहा कि यह सच है कि जब भी ‘तमिल थाई वाज्थु’ गाया जाता है तो दर्शक पारंपरिक रूप से खड़े हो जाते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सम्मान दिखाने का एकमात्र तरीका है।

अदालत ने कहा कि एक संन्यासी मुख्य रूप से धर्मपरायणता का जीवन व्यतीत करता है और जब वह प्रार्थना करता है तो वह हमेशा ध्यान मुद्रा में पाया जाता है। उसने कहा कि चूंकि ‘तमिल थाई वाज्थु’ एक प्रार्थना गीत है, इसलिए एक संन्यासी का ध्यान की मुद्रा में बैठना निश्चित रूप से उचित है। अदालत ने कहा कि इस मामले में, शंकराचार्य अपनी आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं और यह तमिल मां के प्रति अपनी श्रद्धा एवं सम्मान व्यक्त करने का उनका अपना तरीका था।

अदालत ने रामेश्वरम पुलिस स्टेशन के समक्ष लंबित मामला भी खारिज कर दिया।

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Web Title: 'Tamil Thai Vaazthu' is a prayer song, not an anthem: Court

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