तबलीगी जमात: अदालत ने कहा, पुलिस बताये वैध वीजा पर आये विदेशियों को ठहराने पर क्या रोक थी

By भाषा | Updated: December 6, 2021 20:17 IST2021-12-06T20:17:59+5:302021-12-06T20:17:59+5:30

Tablighi Jamaat: The court said, tell the police what was the ban on the stay of foreigners who came on valid visa | तबलीगी जमात: अदालत ने कहा, पुलिस बताये वैध वीजा पर आये विदेशियों को ठहराने पर क्या रोक थी

तबलीगी जमात: अदालत ने कहा, पुलिस बताये वैध वीजा पर आये विदेशियों को ठहराने पर क्या रोक थी

नयी दिल्ली, छह नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि क्या पिछले साल तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने आये उन व्यक्तियों को ठहराने पर कोई रोक थी जिन्होंने उस समय वैध वीजा पर देश में प्रवेश किया था जब कोविड​​​​-19 संबंधी कोई प्रतिबंध नहीं थे।

उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को एक हलफनामा दाखिल करके यह बताने का निर्देश दिया कि क्या लॉकडाउन लागू होने पर विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकों द्वारा ठहराने पर कोई रोक थी।

अदालत ने वह विशिष्ट तारीख नहीं बता पाने को लेकर भी जांच एजेंसी की खिंचाई की, जिस दिन जमात में शामिल होने वाले लोगों ने याचिकाकर्ताओं के परिसर में ठहरने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता की एकल पीठ उन याचिकाओं पर सुनवायी कर रही थीं जिसमें ऐसे व्यक्तियों को ठहराने वालों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा कि वह अदालत के समक्ष सामग्री रखे जाने के बाद उचित आदेश पारित करेंगी।

इनमें से कुछ अर्जियां ऐसे व्यक्तियों ने दाखिल की हैं जिन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले विदेशियों को अपने यहां ठहराया था।लिया था और ये कोविड-19 के प्रकोप के कारण लॉकडाउन लागू होने के कारण यात्रा नहीं कर सकते थे।

इन अर्जियों में ऐसी प्राथमिकियों को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। वहीं अन्य अर्जियां विभिन्न मस्जिदों की देखभाल करने वाले या प्रबंधन कमेटी के सदस्यों जैसे व्यक्तियों की हैं। इन व्यक्तियों पर चांदनी महल पुलिस थाना क्षेत्र के तहत मस्जिदों में विदेशी नागरिकों को ठहरने की सुविधा प्रदान करने का आरोप लगाया गया है।

प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 269 तथा आईपीसी के तहत अन्य अपराधों के लिए दर्ज की गई थीं।

अभियोजक ने अदालत को बताया कि जब पुलिस "मौके" पर गई, तो स्थानीय लोगों ने उस तारीख के बारे में सूचित नहीं किया जिस दिन वहां उपस्थित लोग परिसर में रहने के लिए आए थे। अदालत ने कहा, ‘‘तब आपके अधिकारी आईओ (जांच अधिकारी) बनने लायक नहीं हैं।’’ अदालत ने कहा कि पुलिस विदेशी नागरिकों की पासपोर्ट प्रविष्टियों और उनके कॉल रिकॉर्ड डेटा की जांच कर सकती थी ताकि उनके स्थान का पता लगाया जा सके।

अदालत ने कहा कि उसके समक्ष ‘‘आधी-अधूरी चीजें दाखिल करना’’ काम नहीं करेगा और इस बात पर जोर दिया कि पुलिस को ‘‘यह दिखाना होगा कि लॉकडाउन के बाद, वे (तबलीगी कार्यक्रम के लिए आये व्यक्ति) इधर-उधर घूम रहे थे।’’

अदालत ने कहा, ‘‘वे वैध वीजा पर आए थ। फिर वे वहां रह रहे थे तो आप यह नहीं कह सकते कि वे इन प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे थे।’’

याचिकाकर्ताओं के वकील ने दावा किया कि जांच एजेंसी ने प्राथमिकी या आरोपपत्र में परिसर में प्रवेश की तारीख निर्दिष्ट नहीं की है।

वकील ने बताया कि दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने निजामुद्दीन मरकज के संबंध में इसके आयोजकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, महामारी रोग अधिनियम आदि के कुछ प्रावधानों के कथित उल्लंघन के आरोप में प्राथमिकी भी दर्ज की थी।

अदालत ने संबंधित पुलिस उपायुक्त को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें यह बताया जाए कि क्या कोई याचिकाकर्ता अपराध शाखा की प्राथमिकी में भी आरोपी है।

अदालत ने कहा, ‘‘डीसीपी के हलफनामे से यह भी पता चलेगा कि क्या वैध पासपोर्ट और वीजा पर भारत आए विदेशी को किसी भारतीय नागरिक द्वारा प्रासंगिक समय पर अपने आवास पर रखने पर कोई रोक थी।’’

अदालत ने मामले को 4 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि मामले में पुलिस की स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लाया जाए।

अधिवक्ताओं आशिमा मंडला और मंदाकिनी सिंह के जरिये दायर याचिका में, दो याचिकाकर्ताओं – फ़िरोज़ और रिज़वान ने दलील दी है कि तबलीगी जमात के कार्यक्रम के लिए आये व्यक्तियों को उन्होंने आश्रय दिया था क्योंकि लॉकडाउन की वजह से वे कहीं नहीं जा सकते थे। दोनों याचिकाकर्ताओं ने चार-चार महिलाओं को अपने यहां ठहराया था।

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Web Title: Tablighi Jamaat: The court said, tell the police what was the ban on the stay of foreigners who came on valid visa

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