जेलों में जमानत आदेशों के सुरक्षित डिजिटल संप्रेषण के लिए प्रणाली लागू करेगा उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: July 16, 2021 16:07 IST2021-07-16T16:07:51+5:302021-07-16T16:07:51+5:30

Supreme Court to introduce system for secure digital communication of bail orders in jails | जेलों में जमानत आदेशों के सुरक्षित डिजिटल संप्रेषण के लिए प्रणाली लागू करेगा उच्चतम न्यायालय

जेलों में जमानत आदेशों के सुरक्षित डिजिटल संप्रेषण के लिए प्रणाली लागू करेगा उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 16 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह देशभर की जेलों में अपने जमानत आदेशों के सुरक्षित डिजिटल संप्रेषण के लिए एक प्रणाली लागू करेगा क्योंकि जमानत दिए जाने के बावजूद, अधिकारी कैदियों की रिहाई के लिए प्रामाणिक आदेशों का इंतजार करते हैं।

न्यायालय ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि डिजिटल युग में ‘‘हम अब भी आदेश पहुंचाने के लिए आकाश में कबूतर उड़ाना चाहते हैं।’’

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने न्यायालय के आदेशों के क्रियान्वयन में विलंब की बढ़ती खबरों पर नाराजगी जताई। न्यायालय ने हाल में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों की ओर से उन 13 कैदियों की रिहाई में देरी का स्वत: संज्ञान लिया था जिन्हें आठ जुलाई को जमानत दी गई थी।

अपराध के वक्त किशोर रहे दोषी, हत्या के एक मामले में 14 से 22 साल तक आगरा के केंद्रीय कारागार में बंद रहे।

मामले में स्वत: संज्ञान लेने के तुरंत बाद विशेष पीठ ने सभी संबंधित पक्षों तक आदेशों को ‘‘तुरंत एवं सुरक्षित’’ पहुंचाने पर केंद्रित योजना पर शीर्ष अदालत के महासचिव से दो सप्ताह के भीतर एक प्रस्ताव मांगा।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के महासचिव को दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दे रहा हूं और हम इसे एक महीने के भीतर क्रियान्वित करने की कोशिश करेंगे।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में न्यायालय ने राज्यों से जेलों में इंटरनेट कनेक्शन की उपलब्धता पर जवाब मांगा क्योंकि इसके बिना जमानत पर आदेशों का प्रसार संभव नहीं है।

न्यायालय ने मामले को लेने के साथ ही शीर्ष अदालत के जमानत आदेश के बावजूद आगरा जेल से 13 कैदियों की रिहाई में विलंब का जिक्र किया और कहा, ‘‘यह स्थिति है और यह बहुत ज्यादा है।’’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ऐसे उदाहरण दिए जिनमें कैदी अदालती आदेशों के नाम पर फर्जीवाड़ा करने की कोशिश करते हैं और कहा कि जेल अधिकारियों को आदेशों पर तभी कार्रवाई करनी चाहिए जब वे अदालत की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाएं।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के युग में हैं लेकिन हम अब भी आदेश पहुंचाने के लिए आसमान में कबूतर उड़ाना चाहते हैं।’’

सूत्रों ने बताया कि ‘फास्टर’ (इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के त्वरित एवं सुरक्षित संप्रेषण) नाम की नवोन्मेषी योजना पर संबंधित जेलों, जिला अदालतों, उच्च न्यायालयों तक आदेशों को पहुंचाने के लिए विचार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे समय की बचत होगी और सुनिश्चित होगा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों के क्रियान्वयन में विलंब न हो।’’

शीर्ष अदालत ने योजना के क्रियान्वयन में मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे को न्यायमित्र नियुक्त किया और पीठ को प्रस्ताव भेजने से पहले महासचिव से उनके साथ समन्वय करने को कहा।

इसने कहा कि महासचिव मामले में सॉलिसिटर जनरल के साथ भी सहयोग करेंगे।

उच्चतम न्यायालय ने आठ जुलाई के अपने जमानत आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा आगरा केंद्रीय कारागार से 13 कैदियों की रिहाई में देरी किए जाने पर गत 13 जुलाई को स्वत: संज्ञान लिया था।

इन 13 दोषियों ने उच्चतम न्यायालय से संपर्क कर अपनी हिरासत को ‘‘अवैध’’ करार दिया था और कहा था कि फरवरी 2017 से मार्च 2021 के बीच समय-समय पर उन सभी के बारे में किशोर न्याय बोर्ड के स्पष्ट आदेश हैं जिनमें उन्हें अपराध के समय नाबालिग बताया गया है।

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Web Title: Supreme Court to introduce system for secure digital communication of bail orders in jails

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