ट्रैक्टर परेड हिंसा संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने किया इनकार

By भाषा | Updated: February 3, 2021 16:27 IST2021-02-03T16:27:21+5:302021-02-03T16:27:21+5:30

Supreme Court refuses to hear petitions related to tractor parade violence | ट्रैक्टर परेड हिंसा संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने किया इनकार

ट्रैक्टर परेड हिंसा संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई से उच्चतम न्यायालय ने किया इनकार

नयी दिल्ली, तीन फरवरी उच्चतम न्यायालय ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले की शीर्ष अदालत के नियुक्त पैनल द्वारा निश्चित समय अवधि में जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर विचार करने से बुधवार को इनकार करते हुये, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान का हवाला दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून अपना काम करेगा। न्यायालय ने कहा कि वह ‘‘इस चरण पर हस्तक्षेप’’ नहीं करना चाहता।

इन याचिकाओं में से एक याचिका अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दायर की थी, जिसमें शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित करने का अनुरोध किया गया था, जो इस मामले में साक्ष्यों को एकत्र करे, उन्हें रिकॉर्ड करे और समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे। इस तीन सदस्यीय आयोग में उच्च न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को शामिल करने का भी आग्रह किया गया था।

न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमें भरोसा है कि सरकार इसकी (हिंसा) जांच कर रही है। हमने प्रेस के समक्ष दिए गए प्रधानमंत्री के इस बयान को पढ़ा है कि कानून अपना काम करेगा। इसका अर्थ यह है कि वे इसकी जांच कर रहे हैं। हम इस चरण पर इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।’’

न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी पीठ का हिस्सा थे। पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील विशाल तिवारी से आवश्यक कदम उठाने के लिए केंद्र सरकार को अभिवेदन देने और याचिका वापस लेने के लिये कहा।

न्यायालय ने ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से जुड़ी इसी प्रकार की एक अन्य याचिका पर सुनवाई से भी इनकार कर दिया और याचिकाकर्ता शिखा दीक्षित से सरकार को अभिवेदन देने को कहा।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील के अभिवेदन का संज्ञान लेते हुए कहा कि वह यह कैसे मान सकते हैं कि 26 जनवरी की हिंसा में पुलिस की जांच एकतरफा होगी।

पीठ ने तिवारी और दीक्षित को याचिकाएं वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा, ‘‘वे स्पष्ट रूप से हरेक की जांच करेंगे। आप यह कैसे मान सकते हैं कि यह एकतरफा होगी? वे जांच कर रहे हैं और स्पष्ट रूप से वे हर चीज की जांच करेंगे।’’

पीठ ने ट्रैक्टर हिंसा संबंधी तीसरी याचिका भी खारिज कर दी। यह याचिका वकील एम एल शर्मा ने दायर की था। शर्मा ने संबंधित प्राधिकारियों एवं मीडिया को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया था कि वे सबूत के बिना किसानों को ‘‘आतंकवादी’’ न घोषित करें।

उन्होंने दावा किया था कि किसानों के प्रदर्शनों को नुकसान पहुंचाने की ‘‘सोची समझी साजिश’’ रची गई और उन्हें बिना किसी सबूत के कथित रूप से ‘‘आतंकवादी’’ घोषित किया गया।

तिवारी ने हिंसा और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के लिए जिम्मेदार लोगों अथवा संगठनों के खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करने के वास्ते संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।

तिवारी की याचिका में कहा गया था कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन दो माह से भी अधिक समय से जारी है और ट्रैक्टर परेड के दौरान इसने ‘‘हिंसक रूप’’ ले लिया।

इसमें कहा गया था कि गणतंत्र दिवस पर पुलिस और किसानों के बीच हुई हिंसा पर पूरी दुनिया की नजरें गई हैं।

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को की गई किसानों की ट्रैक्टर परेड में हजारों प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक तोड़ दिए थे, पुलिस के साथ झड़पें की थीं, वाहनों में तोड़-फोड़ की थी और लाल किले की प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज लगाया था।

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Web Title: Supreme Court refuses to hear petitions related to tractor parade violence

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