नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद गुरुवार को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल अदालत के सामने पेश की गई। इसके बाद कोर्ट ने मूल फाइल पर गौर करते हुए कहा कि कि फाइल बहुत ‘‘जल्दबाजी’’ में पास की गई। कोर्ट ने कहा, 'चुनाव आयुक्त का पद 15 मई को रिक्त हुआ और चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की फाइल को ‘बहुत तेजी से’ पास कर दिया गया।'
पांच जजों की संविधान पीठ ने लगातार तीसरे दिन मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, 'कानून मंत्री ने चुने गए चार नामों की सूची में से नामों को चुना...फाइल 18 नवंबर को रखी गई थी, उसी दिन पास कर दी गई। यहां तक कि पीएम भी उसी दिन नाम की सिफारिश करते हैं। हम किसी तरह का टकराव नहीं चाहते हैं, लेकिन क्या यह जल्दबाजी में किया गया था? ऐसी क्या जल्दबाजी थी?'
इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अरुण गोयल की नियुक्ति को लेकर केंद्र से मूल रिकार्ड तलब करते हुए कहा था कि वह जानना चाहता है कि कहीं कुछ अनुचित तो नहीं किया गया है। गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। सुनवाई कर रही पांच जजों की बेंच की अध्यक्षता जस्टिस के.एम जोसेफ कर रहे हैं। पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरूद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सी टी रविकुमार भी शामिल हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाने वाले अर्जियों पर सुनवाई कर रहा है। इसी दौरान प्रशांत भूषण ने अरुण गोयल की नियुक्ति का भी मुद्दा सुनवाई के दौरान उठाया था। इसके बाद पीठ ने सुनवाई जारी रहने के दौरान गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल देखने की बात कही थी। अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने इसे लेकर आपत्ति भी जताई थी लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए फाइल पेश करने के निर्देश कल दे दिए थे।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1985 बैच के पंजाब कैडर के अधिकारी गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया। वह 60 वर्ष के होने पर 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे। इस बीच 18 नवंबर को उन्हें वीआरएस मिल गया। अपनी नई भूमिका संभालने के बाद, गोयल मौजूदा सीईसी राजीव कुमार के फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त होने के बाद अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे। मई में, पूर्ववर्ती सीईसी सुशील चंद्रा के सेवानिवृत्त होने के बाद निर्वाचन आयोग में एक रिक्ति हुई थी।