डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिलने की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि 'कोरोना के इस जंग में सैनिकों को असंतुष्ट नहीं रखा जा सकता है।' कोर्ट ने कहा कि मेडिकल पेशेवर लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखने के लिए सरकार को और कोशिश करने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ये टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही जिसमें डॉक्टरों सहित अग्रिम मोर्चे पर अन्य काम कर रहे लोगों को ड्यूटी के बाद 7 से 14 दिन क्वॉरंटाइन करने की बात कही गई है। याचिकाकर्ता आरुषि जैन ने कहा कि अभी उन्हें रूम शेयर करना पड़ता है और ये असल लक्ष्य के अनुरूप नहीं है।
कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान हैदराबाद और दिल्ली में डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिलने से संबंधित मीडिया रिपोर्ट्स का जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए।'
कोर्ट ने कहा, 'ऐसे रिपोर्ट हैं कि डॉक्टर हड़ताल पर जा रहे हैं और दिल्ली में डॉक्टरों को तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है। कोर्ट ने कहा, 'ऐसी चिंताओं पर गौर करना चाहिए। इसके लिए कोर्ट के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। आपको (सरकार) और कोशिश करने की जरूरत है। इस बात को सुनिश्चित कीजिए कि उनकी चिंताएं सुनी जाए। देश में इस जंग के बीच असंतुष्ट सैनिक नहीं रह सकते। इस मुद्दे का और अतिरिक्त पैसे से समाधान कीजिए।' याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि कोरोना वायरस केस को देख रहे लोगों को बिना पीपीई किट के काम करना पड़ रहा है जबकि ये इस स्वास्थ्य कर्मियों के लिए निर्देश हैं कि उन्हें पूरी सुरक्षा और क्वारेंटाइन मुहैया कराया जाए।
याचिकाकर्ता ने कहा, 'डॉक्टरों को भी कम सैलरी मिल रही है। अगर वे काम कर रहे हैं तो किसी भी सरकारी आदेश के तहत इनकी सैलरी कम नहीं की जानी चाहिए। प्राइवेट अस्पतालों को भी डॉक्टरों की सैलरी कम नहीं करनी चाहिए।' सरकार की ओर से इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता के वकील को 'अनौपचारिक सूचनाएं मिल रही हैं'।