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Madhya Pradesh crisis: सुप्रीम कोर्ट में बोले वकील मुकुल रोहतगी, आप कहिए तो सभी 16 MLA को पेश करूं, न्यायालय ने कहा-NO

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 18, 2020 16:02 IST

उच्चतम न्यायालय ने विधानसभा तक निर्बाध पहुंच और अपनी पसंद स्वतंत्र रूप से जाहिर करना सुनिश्चित करने के तौर तरीकों पर वकीलों से सहायता करने को कहा है। शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायाधीश के चैंबर में सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की पेशकश की, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया।

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ठळक मुद्देरोहतगी ने कहा कि कैसे कोई राजनीतिक दल याचिका में बागी विधायकों तक पहुंच की मांग कर सकता है।याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाए। संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश देने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर कमलनाथ सरकार से जवाब मांगा है।

उच्चतम न्यायालय ने विधानसभा तक निर्बाध पहुंच और अपनी पसंद स्वतंत्र रूप से जाहिर करना सुनिश्चित करने के तौर तरीकों पर वकीलों से सहायता करने को कहा है। शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायाधीश के चैंबर में सभी 16 बागी विधायकों को पेश करने की पेशकश की, जिसे न्यायालय ने ठुकरा दिया।

रोहतगी ने कहा कि कैसे कोई राजनीतिक दल याचिका में बागी विधायकों तक पहुंच की मांग कर सकता है। उन्होंने याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाए। संवैधानिक अदालत के तौर पर हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है।

मुकुल रोहतगी ने कहा कि विकल्प के तौर पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल कल बागी विधायकों से मिल सकते हैं और इसकी वीडियो रिकार्डिंग कर सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि उसे सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपनी पसंद को जाहिर करें। न्यायालय ने कहा कि वह इस बात का फैसला करने के लिये विधायिका की राह में नहीं आ रहा है कि किसे सदन का विश्वास हासिल है। 

चौहान ने मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण की मांग करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार एक दिन भी सत्ता में नहीं रह सकती क्योंकि वह बहुमत खो चुकी है। मध्य प्रदेश कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय से रिक्त विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने तक शक्ति परीक्षण स्थगित करने की मांग की। 

बागी विधायकों ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफे दबाकर बैठ नहीं सकते, उन्होंने न्यायालय से कहा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष कुछ इस्तीफे स्वीकार कर सकते हैं और कुछ अन्य को ठुकरा सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि इस्तीफा देने का अधिकार संवैधानिक है, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का कर्तव्य त्यागपत्र स्वीकार करने का है। मध्य प्रदेश के बागी विधायकों ने न्यायालय से कहा कि उन्होंने अपनी स्वतंत्र इच्छा से किये गए फैसले की संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की। यही बात शपथ लेकर हलफनामे में भी कही गई है। 

मप्र कांग्रेस का न्यायालय में तर्क: उपचुनाव होने तक विश्वास टाला जाए

मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि राज्य विधान सभा में रिक्त हुये स्थानों के लिये उपचुनाव होने तक सरकार के विश्वास मत प्राप्त करने की प्रक्रिया स्थगित की जायें। कांग्रेस ने यह भी दलील दी कि अगर उस समय तक कमलनाथ सरकार सत्ता में रहती है तो आसमान नहीं टूटने वाला है।

न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे से उत्पन्न राजनीतिक संकट को लेकर भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा, ‘‘यदि उपचुनाव होने तक कांग्रेस सरकार को सत्ता में बने रहने दिया जाता है तो इससे आसमान नहीं गिरने वाला है और शिवराज सिंह चौहान की सरकार को जनता पर थोपा नहीं जाना चाहिए।’’ दवे ने कहा, ‘‘उन्हें दुबारा चुनाव का सामना करने दीजिये और फिर विश्वास मत कराया जाये। आपने (भाजपा) यह सब किया है। मेरी याचिका में सीधा हमला किया गया है कि आपने ही साजिश रची है।’’

चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने इस तर्क का जबर्दस्त प्रतिवाद किया और आरोप लगाया कि 1975 में आपात काल लगाकर लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी अब डा बी आर आम्बेडकर के उच्च सिद्धांतों की दुहाई दे रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे, जिनमे से छह इस्तीफे स्वीकार किये जा चुके हैं, के बाद राज्य सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने नहीं देना चाहिए। रोहतगी ने कहा, ‘‘यह सत्ता का लाभ है जिसकी वजह से यह उच्च सिद्धांतों की दलीलें दी जा रही हैं। यह कभी नहीं सुना कि बहुमत खो देने वाला व्यक्ति कह रहा है कि उसे छह महीने सत्ता में बने रहने दिया जाये और विश्वास मत से पहले दुबारा चुनाव होने चाहिए।’’

उन्होंने दावा किया कि राज्य में कमल नाथ सरकार किसी न किसी तरह सत्ता में बने रहना चाहती है। इससे पहले दिन में, मध्य प्रदेश कांग्रेस पार्टी ने पीठ से कहा कि राज्य विधानसभा अध्यक्ष को भाजपा नेताओं द्वारा उसके बागी विधायकों के इस्तीफों के मामले की जांच कराने की आवश्यकता है । दवे ने कहा कि राज्यपाल को सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिये रात में मुख्यमंत्री या अध्यक्ष को संदेश देने का कोई अधिकार नहीं है।

उन्होंने ने कहा, ‘‘अध्यक्ष सर्वेसर्वा है और मध्य प्रदेश के राज्यपाल उन्हें दरकिनार कर रहे हैं।’’ कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया कि उसके बागी विधायकों से बलपूर्वक और धमका कर ये इस्तीफे लिये गये हैं। कांग्रेस ने दावा किया कि उसके विधायकों ने अपनी मर्जी से इस्तीफे नहीं दिये हैं। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि उसके बागी विधायकों को चार्टर्ड उड़ान से ले जाया गया है और इस समय वे भाजपा द्वारा की गयी व्यवस्था के तहत एक रिजार्ट में हैं तथा उनसे संपर्क नहीं हो सकता है।

कांग्रेस के बागी विधायकों के इस्तीफों के मामले में भाजपा की भूमिका की ओर पीठ का ध्यान आकर्षित करते हुये दवे ने कहा कि होली के दिन भाजपा नेता विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर पहुंचे और उन्हें 19 विधायकों के पत्र सौंपे। मप्र कांग्रेस विधायक दल ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर अनुरोध किया था कि उसके बागी विधायकों से संपर्क स्थापित कराने का केन्द्र और कर्नाटक की भाजपा सरकार को निर्देश दिया जाये।

कांग्रेस का कहना है कि उसके विधायकों को बेंगलुरू की एक रिजार्ट में रखा गया है। इससे पहले, मंगलवार की सुबह न्यायालय ने शिवराज सिंह चौहान और नौ अन्य भाजपा विधायकों की याचिका पर कमलनाथ सरकार से बुधवार की सुबह साढ़े दस बजे तक जवाब मांगा था।

विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 16 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिये स्थगित किये जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।

भाजपा ने इस याचिका में अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधान सभा के प्रधान सचिव पर संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने और जानबूझ कर राज्यपाल के निर्देशों की अवहेलना करने का आरोप लगाया था। राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार की राहत मुख्यमंत्री को संदेश भेजा था कि विधान सभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद सदन में विश्वास मत हासिल किया जाये क्योंकि उनकी सरकार अब अल्पमत में है। 

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