सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मृतकों को चार लाख मुआवजा देने की याचिका पर फैसला किया सुरक्षित, जानें केंद्र सरकार ने क्या कहा

By वैशाली कुमारी | Updated: June 23, 2021 11:10 IST2021-06-23T11:10:51+5:302021-06-23T11:10:51+5:30

14 मार्च 2020 को गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कोरोनावायरस को नोटिफाइड आपदा घोषित किया था।

Supreme Court has decided on the petition to give compensation to the covid dead, know what the central government said | सुप्रीम कोर्ट ने कोविड मृतकों को चार लाख मुआवजा देने की याचिका पर फैसला किया सुरक्षित, जानें केंद्र सरकार ने क्या कहा

(फोटो सोर्स- ट्विटर)

Highlightsगौरतलब है कि पिछले साल कोविड-19 महामारी को केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत महामारी घोषित किया था।सुप्रीम कोर्ट ने Covid-19 महामारी से मरे लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने वाली याचिका पर अपने फैसले को सुरक्षित कर लिया है। दिल्ली सरकार ने हाल ही में ऑक्सीजन की कमी से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को पांच लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है

सुप्रीम कोर्ट ने Covid-19 महामारी से मरे लोगों के परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने वाली याचिका पर अपने फैसले को सुरक्षित कर लिया है। केंद्र सरकार ने इस याचिका पर सोमवार को एक हलफनामा दाखिल किया था। इसमें कहा गया कि राज्य सरकारें मुआवजे का बोझ नहीं उठा सकती हैं और मुआवजे में दिए जाने वाले रुपयों का इस्तेमाल स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए किया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि पिछले साल कोविड-19 महामारी को केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत महामारी घोषित किया था। इस कानून के सेक्शन 12(3)के मुताबिक आपदा या महामारी से पीड़ित लोगों की मदद के लिए राष्ट्रीय प्रशासन को पीड़ितों को मुआवजा, घर या संपत्ति के नुकसान के एवज में धनराशि दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार इस नियम के तहत मुआवजे की राशि को समय-समय पर संशोधित करती रहती है।

8 अप्रैल 2015 के संशोधन के बाद केंद्र सरकार ने तय किया कि आपदा महामारी से पीड़ित लोगों को मुआवजे के तौर पर 4 लाख रुपये दिए जाएंगे। संशोधन में कहा गया कि यह धनराशि उन लोगों को भी दी जाएगी जिनकी राहत कार्य और तैयारियों मे जान चली गई है। हालांकि इन लोगों के मौत की पुष्टि संबंधित विभाग से प्रमाणित होनी चाहिए।

14 मार्च 2020 को गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कोरोनावायरस को नोटिफाइड आपदा घोषित किया था। पत्र में कोविड-19 से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का उल्लेख किया गया था लेकिन पत्र में कोविड-19 से जान गंवाने वालों के लिए मुआवजे की स्पष्ट चर्चा नहीं की गई थी।

ऐसे में अगर कानून के तहत केंद्र सरकार पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देती है तो मंगलवार तक स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 3.89 लाख लोगों की कोविड से मौतें हुई हैं और इन लोगों को मुआवजा देने में 15,572 करोड़ का खर्च आएगा।
वही कुछ राज्य सरकार ने परिजनों को मुआवजा देने की बात कही है लेकिन हर तरह की मौत के लिए मुआवजा अलग तय किया गया है। दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले लोगों को पांच लाख रुपये और कोविड-19 से मरने वाले लोगों को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की है। 

आपको बता दें कि इस मामले के लिए गौरव कुमार बंसल और रीपक बंसल ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने दलील दी कि अगर 4-4 लाख रुपए मुआवजे में दिए जाएंगे तो राहत कोष की पूरी राशि इसी में खर्च हो जाएगी बतौर दूसरी महामारी से लड़ने के इंतजाम नहीं हो पाएंगे।

केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति पहले पहले ही खराब चल रही है। केंद्र सरकार ने एक्स ग्रेशिया टर्म का हवाला देते हुए बताया कि मुआवजे की राशि देना कानून पर आधारित नहीं है।  बता दें कि अभी तक केंद्र सरकार की ओर से पीड़ित परिजनों को मुआवजा देने के लिए कोई भी स्कीम की घोषणा नहीं की गई है।

Web Title: Supreme Court has decided on the petition to give compensation to the covid dead, know what the central government said

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