उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी लोक सेवक को गिरफ्तारी से राहत प्रदान की

By भाषा | Updated: March 1, 2021 21:32 IST2021-03-01T21:32:16+5:302021-03-01T21:32:16+5:30

Supreme Court granted relief from arrest to public servant accused of rape | उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी लोक सेवक को गिरफ्तारी से राहत प्रदान की

उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म के आरोपी लोक सेवक को गिरफ्तारी से राहत प्रदान की

नयी दिल्ली, एक मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को नाबालिक लड़की से दुष्कर्म के आरोपी एक लोक सेवक से पूछा कि ‘‘क्या वह लड़की से शादी करने को तैयार है।’’ शीर्ष अदालत को बताया गया कि आरोपी पहले से विवाहित है तो पीठ ने उसे नियमित जमानत के लिए संबंधित अदालत का रुख करने को कहा।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी में कार्यरत एक तकनीकविद् द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरोपी ने मामले में अग्रिम जमानत रद्द करने के बंबई उच्च न्यायालय के पांच फरवरी के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था।

पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी थे। सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने आरोपी से पूछा, ‘‘क्या तुम उससे (लड़की से) शादी करना चाहते हो।’’

पीठ ने कहा, ‘‘अगर तुम शादी करने को इच्छुक हो तो हम इस पर विचार कर सकते हैं अन्यथा तुम्हें जेल जाना होगा।’’ साथ ही पीठ ने जोड़ा, ‘‘हम शादी के लिए दबाव नहीं डाल रहे।’’

पीठ द्वारा सवाल पूछे जाने पर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि आरोपी पहले लड़की से शादी करना चाहता था लेकिन उसने मना कर दिया तो उसने किसी दूसरी लड़की से शादी कर ली।

वकील ने जब कहा कि आरोपी लोकसेवक है, इस पर पीठ ने कहा, ‘‘आपको (आरोपी को) लड़की को फुसलाने और दुष्कर्म करने से पहले यह सब विचार करना चाहिए था। आपको पता है कि आप एक सरकारी सेवक हैं।’’

वकील ने कहा कि मामले में अभी आरोप तय नहीं हुआ है।

पीठ ने कहा, ‘‘आप नियमित जमानत की अर्जी दे सकते हैं। हम गिरफ्तारी पर रोक लगाएंगे।’’

शीर्ष अदालत ने आरोपी को चार सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से राहत प्रदान की।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने चार हफ्ते के भीतर नियमित जमानत के लिए अर्जी दाखिल करने की अनुमति के साथ यह याचिका वापस ले ली है। अनुरोध स्वीकार किया जाता है। तब तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। इसके तहत विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’

निचली अदालत द्वारा दी गयी अग्रिम जमानत को रद्द किए जाने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ आरोपी की याचिका पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी।

व्यक्ति पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत दंडनीय आरोप भी लगाए गए हैं।

अपनी याचिका में आरोपी ने महाराष्ट्र सिविल सेवा (अनुशासन और अपील) नियमावली 1979 का संदर्भ दिया और कहा कि किसी सरकारी सेवक को 48 घंटे के लिए आपराधिक आरोपों पर पुलिस हिरासत में रखा जाता है तो उसे निलंबन में रखा जाएगा।

आरोप है कि व्यक्ति ने लड़की से कई बार दुष्कर्म किया और किसी को बताने पर उसे धमकी दी।

याचिका में कहा गया कि लड़की और उसकी मां जब शिकायत दर्ज कराने के लिए थाना पहुंची तो आरोपी की मां ने उसे ऐसा नहीं करने का अनुरोध किया और वह लड़की को अपनी पुत्रवधू बनाने के लिए तैयार हो गयी।

लड़की जब जून 2018 में 18 साल की हो गयी तो आरोपी की मां ने शादी कराने से इनकार कर दिया, जिसके बाद शिकायत दर्ज करायी गयी।

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Web Title: Supreme Court granted relief from arrest to public servant accused of rape

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