उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के कदमों से असंतोष जताया

By भाषा | Updated: October 8, 2021 20:27 IST2021-10-08T20:27:20+5:302021-10-08T20:27:20+5:30

Supreme Court expresses dissatisfaction with Uttar Pradesh government's steps in Lakhimpur violence case | उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के कदमों से असंतोष जताया

उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के कदमों से असंतोष जताया

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर लखीमपुर खीरी में चार किसानों सहित आठ लोगों की "निर्मम" हत्या मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से असंतुष्ट उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सवाल किया कि जिन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। इसके साथ ही न्यायालय ने निर्देश दिया कि मामले में साक्ष्य और संबद्ध सामग्री नष्ट नहीं हों।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा, "कानून को सभी आरोपियों के खिलाफ अपना काम करना चाहिए" तथा आठ लोगों की निर्मम हत्या की जांच के संबंध में सरकार को सभी उपचारात्मक कदम उठाने होंगे ताकि विश्वास कायम हो सके।"

राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पीठ को आश्वासन दिया कि "आज और कल के बीच (जांच में) जो भी कमी है , उसे पूरा किया जाएगा क्योंकि संदेश चला गया है"।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, “विद्वान वकील ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र किया है और इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट भी दायर की गई है। लेकिन हम राज्य के कदमों से संतुष्ट नहीं हैं।’’

पीठ ने कहा, "...वकील ने हमें आश्वासन दिया है कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर इस अदालत को संतुष्ट करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे तथा वह किसी अन्य एजेंसी द्वारा जांच किए जाने के विकल्पों पर भी विचार करेंगे। इसे देखते हुए हम इस पहलू में विस्तार से जाने के इच्छुक नहीं हैं। इस मामले को अवकाश के तुरंत बाद सूचीबद्ध करें। इस बीच, विद्वान अधिवक्ता ने हमें आश्वासन दिया कि वह राज्य के संबंधित शीर्ष पुलिस अधिकारी से बात करेंगे ताकि इस घटना से संबंधित साक्ष्य और अन्य सामग्री की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा सकें।’’

पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। दूसरे, सीबीआई भी कारणों का कोई हल नहीं है, आप कारण जानते हैं ... हम भी सीबीआई में दिलचस्पी नहीं रखते क्योंकि ऐसे लोग हैं ... इसलिए बेहतर होगा कि आप कोई और तरीका निकालें। हम अवकाश के तुरंत बाद गौर करेंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अपना हाथ बंद रखना चाहिए। उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए ...।’’

न्यायालय ने प्राथमिकी में नामजद आरोपी (आशीष मिश्रा) के प्रति पुलिस के नरम रूख पर सवाल उठाया। साल्वे ने कहा कि उनकी उपस्थिति के लिए नोटिस भेजा गया है और उन्होंने कुछ समय देने का अनुरोध किया है। साल्वे ने कहा, “उन्हें आज आना था और उन्होंने कुछ समय देने का अनुरोध किया है। हमने उन्हें कल सुबह 11 बजे आने के लिए कहा है। कल पेश नहीं होने पर कानून की सख्ती बरती जाएगी।’’

पीठ ने कहा, ‘‘ आप (राज्य) क्या संदेश दे रहे हैं।’’ न्यायालय ने राज्य सरकार से सवाल किया कि क्या अन्य आरोपी, जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहित की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया जाता है, उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार होता है।

पीठ ने कहा, ‘‘ अगर आप प्राथमिकी देखेंगे, तो उसमें धारा 302 का जिक्र है। क्या आप दूसरे आरोपियों के साथ भी ऐसा ही व्यवहार करते हैं।’’

न्यायालय ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 20 अक्टूबर की तारीख तय की है।

गौरतलब है कि किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, तभी लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी (कार) ने चार किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया। इससे गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक चालक की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

तिकोनिया थानाक्षेत्र में हुई इस घटना में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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Web Title: Supreme Court expresses dissatisfaction with Uttar Pradesh government's steps in Lakhimpur violence case

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