उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने में देरी पर नाराजगी जताई

By भाषा | Updated: July 7, 2021 17:03 IST2021-07-07T17:03:15+5:302021-07-07T17:03:15+5:30

Supreme Court expressed displeasure over delay in filing petition against High Court order | उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने में देरी पर नाराजगी जताई

उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका दाखिल करने में देरी पर नाराजगी जताई

नयी दिल्ली, सात जुलाई उच्चतम न्यायालय ने अनुशासनात्मक जांच के बाद अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किये गये एक पुलिस कांस्टेबल को अनुकंपा पेंशन देने से संबंधित मामले में गुजरात सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने में देरी किये जाने पर नाराजगी व्यक्त की है और उसकी याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने गुजरात सरकार पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

उच्चतम न्यायालय ने अपील दायर करने में राज्य सरकार के बहुत विलंब करने पर नाराजगी जाहिर की। न्यायालय ने कहा कि जिस परिस्थिति में अनुकंपा पेंशन के लिए निर्देश जारी किया गया था, वह यह था कि व्यक्ति का एक बच्चा मानसिक रूप से विक्षिप्त था और दूसरा पोलियो प्रभावित था।

उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने फरवरी 2017 में, प्राधिकरण को 21 मार्च, 2002 से व्यक्ति को अनुकंपा पेंशन देने और आदेश प्राप्त होने की तारीख से एक महीने की अवधि के भीतर बकाया भुगतान करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

अपील दायर करने के तरीके को खारिज करते हुए, शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस उपायुक्त, यातायात शाखा, अहमदाबाद और गुजरात के गृह विभाग द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर करने में 856 दिनों की देरी हुई थी।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि जिस परिस्थिति में गुजरात सिविल सेवा (पेंशन) नियम 2002 के नियम 78 और 79 के तहत अनुकंपा पेंशन के लिए निर्देश दिया गया था, वह यह था कि व्यक्ति का एक बच्चा मानसिक रूप से विक्षिप्त था और दूसरा पोलियो प्रभावित था।

पीठ ने पांच जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘गुजरात राज्य ने खंडपीठ के समक्ष 200 दिनों की देरी के साथ मामले को रखा और अब 856 दिनों की देरी के साथ संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत एक विशेष अनुमति याचिका में हमारे सामने है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘हम देरी को नजरअंदाज नहीं कर सकते।’’

उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘‘हम इस तरह उस तरीके को अस्वीकार करते हैं जिसमे गुजरात राज्य ने विलंब के साथ इस अदालत का रूख किया है और विलंब किये जाने के आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर उच्चतम न्यायालय कानूनी सेवा समिति के पास 25,000 रुपये की राशि जमा करनी होगी।’’

एकल न्यायाधीश द्वारा फरवरी 2017 में दिये गये फैसले के बाद, प्राधिकरण ने जुलाई 2018 में खंडपीठ का रूख किया था जिसने 200 दिनों की देरी के आधार पर आवदेन को खारिज कर दिया था।

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Web Title: Supreme Court expressed displeasure over delay in filing petition against High Court order

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