उच्चतम न्यायालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति को चुनौती देने वाली पूर्व न्यायाधीश की याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: August 2, 2021 20:05 IST2021-08-02T20:05:02+5:302021-08-02T20:05:02+5:30

Supreme Court dismisses plea of former judge challenging compulsory retirement | उच्चतम न्यायालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति को चुनौती देने वाली पूर्व न्यायाधीश की याचिका खारिज की

उच्चतम न्यायालय ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति को चुनौती देने वाली पूर्व न्यायाधीश की याचिका खारिज की

नयी दिल्ली, दो अगस्त उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक पूर्व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की याचिका खारिज कर दी जिन्होंने अपनी ‘‘अनिवार्य सेवानिवृत्ति’’ की अनुशंसा करने के पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया था।

उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के पूर्व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजिंदर गोयल की याचिका पर यह निर्णय सुनाया। पूर्व अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने इस याचिका में उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत की 14 दिसंबर 2020 की अनुशंसा को रद्द करने का आग्रह किया था।

पूर्व न्यायाधीश ने हरियाणा के राज्यपाल के पांच जनवरी 2021 के आदेश को भी चुनौती दी जिन्होंने अनुशंसा को स्वीकार कर लिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सतर्कता/अनुशासन समिति की दो रिपोर्ट में उन्हें निर्दोष ठहराये जाने के बावजूद पूर्ण अदालत ने उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की।

न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने फैसले में कहा, ‘‘तथ्यों एवं परिस्थितियों और धन के लेन-देन के साक्ष्यों को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि पूर्ण अदालत ने उचित निर्णय नहीं किया। मामले में अलग रूख अपनाने का हमारे पास कोई कारण नहीं है।’’

उच्चतम न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश को पहले सलाह दी थी कि उच्च न्यायालय में जाएं लेकिन उन्होंने यह कहते हुए इस सलाह को नहीं माना कि पक्षों को सुनने के बाद उसने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

गोयल 1996 में हरियाणा न्यायिक सेवाओं में भर्ती हुए थे और 2008 में उनकी पदोन्नति हुयी थी। लेकिन बाद में उन पर कुछ आरोप लगे जिनमें एक शिकायत बार एसोसिएशन की भी थी।

21 अप्रैल 2011 को प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया था कि जमीन खरीद के आरोपों के बारे में कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं हैं। बहरहाल, इसने कहा कि ‘‘बैंक खाते में भारी लेन-देन हुआ है।’’

सतर्कता/अनुशासन समिति की दो रिपोर्ट में पाया गया कि गोयल के खिलाफ लगाए गए आरोप साबित नहीं हुए और अनुशंसा की कि उन्हें सभी आरोपों से मुक्त किया जाए।

मामले को पूर्ण अदालत के समक्ष रखा गया जिसने अपनी बैठक में रिपोर्ट पर विचार किया और उन्हें खारिज कर दिया।

शीर्ष अदालत ने गोयल के इस तर्क को भी अस्वीकार कर दिया कि पूर्ण अदालत, सतर्कता या जांच समितियों की रिपोर्ट मानने के लिए बाध्य है।

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Web Title: Supreme Court dismisses plea of former judge challenging compulsory retirement

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