उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार को अग्रिम जमानत देने के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज की

By भाषा | Updated: June 4, 2021 14:13 IST2021-06-04T14:13:08+5:302021-06-04T14:13:08+5:30

Supreme Court dismisses plea against decision to grant anticipatory bail to journalist | उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार को अग्रिम जमानत देने के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज की

उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार को अग्रिम जमानत देने के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज की

नयी दिल्ली, चार जून उच्चतम न्यायालय ने बलात्कार के एक मामले में मुंबई के एक पत्रकार को अग्रिम जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। 22 वर्षीय महिला ने पत्रकार के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज कराया है।

न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अवकाशकालीन पीठ ने शिकायतकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए कहा, ‘‘हमें दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आयी। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’

उच्च न्यायालय ने इस मामले में पत्रकार वरुण हिरेमथ को 13 मई को अग्रिम जमानत दी थी।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने 20 फरवरी को चाणक्यपुरी में एक पांच सितारा होटल में उससे बलात्कार किया था।

हिरेमथ ने 12 मार्च को यहां एक निचली अदालत से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।

महिला की शिकायत के आधार पर यहां चाणक्यपुरी पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार के लिए सजा), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाने के लिए सजा) और 509 (किसी महिला का शील भंग करने के इरादे वाला शब्द, भाव भंगिमा या कार्य करना) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील ने उच्चतम न्यायालय में दलील दी कि आरोपी पहले 50 दिन तक फरार रहा था और उसने गैर जमानती वारंट भी नजरअंदाज किए थे।

शीर्ष न्यायालय में अपनी याचिका में महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने पुलिस जांच में सहयोग न करने के बावजूद एक दिन के लिए भी न्यायिक पूछताछ का सामना नहीं किया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा छह अप्रैल को आरोपी को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दिए जाने के बाद आरोपी जांच अधिकारियों के समक्ष पेश हुआ।

आरोपी की ओर से पेश वकील ने निचली अदालत में दावा किया था कि शिकायकर्ता और पत्रकार के बीच यौन संबंध रहे हैं।

आरोपी के वकील ने दोनों के बीच प्रेम प्रसंग दिखाने के लिए निचली अदालत में व्हाट्सऐप तथा इंस्टाग्राम पर उनकी चैट भी दिखाई।

निचली अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि शिकायकर्ता के आरोपी के साथ पूर्व के अनुभव सहमति के तौर पर नहीं माने जा सकते और अगर अदालत में महिला कहती है कि उसकी सहमति नहीं थी तो यह माना जायेगा कि उसकी रजामंदी नहीं थी।

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Web Title: Supreme Court dismisses plea against decision to grant anticipatory bail to journalist

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