नयी दिल्ली, 24 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह व्यक्तिगत शिकायतों के आधार पर केंद्र सरकार को पिछले साल दिए अपने उस फैसले में बदलाव नहीं कर सकता, जिसमें सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी 2020 को दिए अपने फैसले में सभी सेवारत शॉर्ट सर्विस कमीशन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने को कहा था।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, '' हम ऐसे विविध आवेदनों के आधार पर हमारे फैसले के साथ जरा भी बदलाव नहीं करेंगे, और वो भी लगभग एक साल बाद। हम व्यक्तिगत मामलों को देखते हुए अपने निर्णय में संशोधन नहीं कर सकते। न्यायिक अनुशासन नाम की भी कोई चीज होती है।''
हालांकि, पीठ ने लेफ्टिनेंट कर्नल (सेवानिवृत्त) प्रियंवदा ए मर्दिकार के वकील को उनकी शिकायतें सशस्त्र बल अधिकरण के समक्ष उठाने को कहा।
पूर्व महिला अधिकारी की ओर से पेश वकील एस एस पांडे ने अदालत के समक्ष दलील दी कि एक ही पद पर तैनात दो अधिकारियों में से एक को स्थायी कमीशन प्रदान किया गया जबकि दूसरी अधिकारी को प्रदान नहीं किया गया और बाद में वह सेवानिवृत्त हो गईं।
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