राष्ट्रीय संकट पर मूक दर्शक बने नहीं रह सकते : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: April 27, 2021 16:04 IST2021-04-27T16:04:16+5:302021-04-27T16:04:16+5:30

Supreme court cannot remain silent spectator on national crisis: Supreme Court | राष्ट्रीय संकट पर मूक दर्शक बने नहीं रह सकते : उच्चतम न्यायालय

राष्ट्रीय संकट पर मूक दर्शक बने नहीं रह सकते : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘‘राष्ट्रीय संकट’’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसी स्थिति में मूक दर्शक बना नहीं रह सकता। साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर उसकी स्वत: संज्ञान सुनवाई का मतलब उच्च न्यायालय के मुकदमों को दबाना नहीं है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और उच्चतम न्यायालय पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं।

पीठ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे।’’

उच्चतम न्यायालय की ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कुछ वकीलों ने महामारी के मामलों के फिर से बढ़ने पर पिछले बृहस्पतिवार को स्वत: संज्ञान लेने पर शीर्ष अदालत की आलोचना की थी और कहा था कि उच्च न्यायालयों को सुनवाई करने देनी चाहिए।

इसके एक दिन बाद 23 अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े ने कुछ वकीलों की ‘‘अनुचित’’ आलोचना पर कड़ी आपत्ति जताई थी।

पीठ ने कोविड-19 टीकों की अलग-अलग कीमतों पर वरिष्ठ वकील विकास सिंह समेत वकीलों की दलीलों पर भी मंगलवार को गौर किया और केंद्र को अलग-अलग कीमतों के पीछे के ‘‘तर्क और आधार’’ के बारे में उसे बताने के लिए कहा।

18 वर्ष से अधिक की आयु के सभी नागरिकों को टीका लगाने के सरकार के फैसले पर अदालत ने बृहस्पतिवार तक राज्यों से जवाब देने के लिए कहा कि वे टीकों की मांग बढ़ने और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की जरूरत से कैसे निपटेंगे।

पीठ ने केंद्र से राज्यों को टीकों के साथ-साथ ऑक्सीजन वितरण करने और निगरानी व्यवस्था की रूपरेखा के बारे में भी बताने के लिए कहा।

वीडियो कांफ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कोविड-19 प्रबंधन मामले में उसकी मदद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता और मीनाक्षी अरोड़ा को न्याय मित्र भी नियुक्त किया।

इससे पहले, इस मामले में वरिष्ठ साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किये जाने पर कुछ अधिवक्ताओं की विवादित टिप्पणियों के मद्देनजर उन्होंने यह जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया था।

देश के कोविड-19 की मौजूदा लहर से जूझने के बीच, उच्चतम न्यायालय ने गंभीर स्थिति का गत बृहस्पतिवार को स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं समेत अन्य मुद्दों पर “राष्ट्रीय योजना” चाहता है।

शीर्ष अदालत ने वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन को इलाज का ‘‘आवश्यक हिस्सा’’ बताते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि काफी ‘‘घबराहट’’ पैदा कर दी गई है जिसके कारण लोगों ने राहत के लिए अलग अलग उच्च न्यायालयों में याचिकायें दायर कीं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Supreme court cannot remain silent spectator on national crisis: Supreme Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे