कोरोना के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाई कोर्ट को नहीं रोक रहे पर ये राष्ट्रीय संकट, हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते

By भाषा | Updated: April 27, 2021 15:22 IST2021-04-27T14:19:24+5:302021-04-27T15:22:01+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना को राष्ट्रीय संकट बताते हुए कहा कि वह पूरे माहौल पर मूकदर्शक बन कर नहीं रह सकता है। कोर्ट ने साथ ही वैक्सीन, दवाईयों और अन्य जरूरी सामानों के दामों को लेकर स्पष्टीकरण भी मांगा।

Supreme court cannot remain silent spectator on national crisis: Supreme Court | कोरोना के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाई कोर्ट को नहीं रोक रहे पर ये राष्ट्रीय संकट, हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते

कोरोना संकट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई (फाइल फोटो)

Highlightsमौजूदा हालात एक राष्ट्रीय संकट की तरह, हम मूक दर्शक बन कर नहीं रह सकते: सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट अब मामले पर अगली सुनवाई शुक्रवार को करेगाइस बीच कोर्ट ने राज्यों और केंद्र सरकार से कई मामलों पर जवाब मांगे हैं

नयी दिल्ली: कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘‘राष्ट्रीय संकट’’ बताते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह ऐसी स्थिति में मूक दर्शक बना नहीं रह सकता। 

कोर्ट राज्यों से गुरुवार तक उनके यहां स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर जानकारी भी मांगी है। साथ ही केंद्र सरकार से भी कोर्ट ने पूछा है कि किस आधार पर कोविड वैक्सीन और अन्य जरूरी चीजों के दाम तय किए गए हैं। मामले पर अगली सुनवाई अब शुक्रवार को होगी।

साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर उसकी स्वत: संज्ञान सुनवाई का मतलब उच्च न्यायालय के मुकदमों को दबाना नहीं है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नजर रखने के लिए बेहतर स्थिति में है।

पीठ ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दों पर शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है क्योंकि कुछ मामले राज्यों के बीच समन्वय से संबंधित हो सकते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हम पूरक भूमिका निभा रहे हैं, अगर उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय सीमाओं के कारण मुकदमों की सुनवाई में कोई दिक्कत होती है तो हम मदद करेंगे।’’

देश के कोविड-19 की मौजूदा लहर से जूझने के बीच, उच्चतम न्यायालय ने गंभीर स्थिति का गत बृहस्पतिवार को स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि वह ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक दवाओं समेत अन्य मुद्दों पर “राष्ट्रीय योजना” चाहता है।

शीर्ष अदालत ने वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए ऑक्सीजन को इलाज का ‘‘आवश्यक हिस्सा’’ बताते हुए कहा था कि ऐसा लगता है कि काफी ‘‘घबराहट’’ पैदा कर दी गई है जिसके कारण लोगों ने राहत के लिए अलग अलग उच्च न्यायालयों में याचिकायें दायर कीं।

Web Title: Supreme court cannot remain silent spectator on national crisis: Supreme Court

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