पुणे के पार्षद की याचिका दायर करवाने में मदद के लिये आगे आया सर्वोच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: August 7, 2021 18:30 IST2021-08-07T18:30:35+5:302021-08-07T18:30:35+5:30

Supreme Court came forward to help in filing the petition of Pune Councilor | पुणे के पार्षद की याचिका दायर करवाने में मदद के लिये आगे आया सर्वोच्च न्यायालय

पुणे के पार्षद की याचिका दायर करवाने में मदद के लिये आगे आया सर्वोच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, सात अगस्त उच्चतम न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करने में पुणे नगर निगम के एक पार्षद की मदद करते हुए याचिका दायर करने की लागत को 3.9 करोड़ रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये कर दिया। पार्षद ने अवजल शोधन संयंत्र और नयी जल निकासी प्रणाली परियोजना के निर्माण की निविदा प्रक्रिया को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के जनहित याचिका स्वीकार करने से पहले लागत की एक प्रतिशत राशि जमा करने से संबंधित नियम 7ए को ध्यान में रखते हुए, यह सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है कि एक संतुलन साधा जाए जिससे न्याय तक पहुंच से इनकार की संभावना को रोका जा सके।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के जनहित याचिका नियम 2010 का नियम 7ए उच्च न्यायालय ने लागत के लिए आदेश जारी करते हुए लगाया और इस तरह के प्रावधान को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि विशेष रूप से सार्वजनिक परियोजनाएं “प्रेरित जनहित याचिकाओं” की वजह से पटरी से न उतर जाएं।

पीठ ने कहा, “हम उसी के अनुरूप याचिका को स्वीकार करते हैं और उच्च न्यायालय के आक्षेपित आदेश को दरकिनार करते हैं। समादेश याचिका को उच्च न्यायालय में दायर करने के लिये कहा जाता है। याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय में याचिका को स्वीकार किये जाने का अनुरोध करने के लिए स्वतंत्र है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमनें याचिका को कायम रखने जाने या मामले के गुण-दोष के संदर्भ में कोई टिप्पणी नहीं की है।”

न्यायालय ने कहा कि इस आदेश के तहत जमा कराई गई 10 लाख की रकम को किसी राष्ट्रीयकृत बैंक की अल्पावधि जमा योजना में रखा जाएगा और उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जाएगा।

पुणे नगर निगम के पांच बार के पार्षद अरविंद तुकाराम शिंदे की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता विपिन नायर ने कहा कि परियोजना की लागत का एक प्रतिशत कुल 3.9 करोड़ रुपये है जो बहुत ज्यादा है और अदालत इस लागत को कम कर सकती है।

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Web Title: Supreme Court came forward to help in filing the petition of Pune Councilor

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