उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला मामलों की सुनवाई के लिए दो न्यायाधीश किये नियुक्त

By भाषा | Updated: April 5, 2021 19:38 IST2021-04-05T19:38:52+5:302021-04-05T19:38:52+5:30

Supreme Court appoints two judges to hear coal scam cases | उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला मामलों की सुनवाई के लिए दो न्यायाधीश किये नियुक्त

उच्चतम न्यायालय ने कोयला घोटाला मामलों की सुनवाई के लिए दो न्यायाधीश किये नियुक्त

नयी दिल्ली, पांच अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने दो न्यायिक अधिकारियों, अरुण भारद्वाज और संजय बंसल, को 2014 से लंबित सनसनीखेज कोयला घोटाला मामलों की सुनवाई के लिए सोमवार को विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया।

यह दोनों न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश भरत पराशर की जगह लेंगे, जो कोयला घोटाले के करीब 40 मामलों की सुनवाई कर रहे थे।

दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने शीर्ष अदालत को एक पत्र लिख कर अनुरोध किया था कि पराशर के स्थान पर किसी अन्य उपयुक्त न्यायिक अधिकारी को नामित करने या नियुक्त करने की अनुमति दी जाए।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने इस पत्र का संज्ञान लेते हुए पराशर की जगह दो न्यायाधीशों को नियुक्त किया।

विशेष सरकारी वकील आर एस चीमा ने सुझाव दिया था कि 41 लंबित मामलों के निस्तारण के लिए एक अदालत की बजाय दो विशेष अदालतें गठित करना उपयुक्त रहेगा।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अरूण भारद्वाज और संजय बंसल को क्रमश: विशेष अदालत संख्या 1 और दो का न्यायाधीश नियुक्त करना उपयुक्त रहेगा। उन्हें उनकी वरिष्ठता के क्रम में नियुक्त किया जाए।’’

पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मुहैया कराए गए पांच न्यायिक अधिकारियों के नामों पर विचार किया और कहा कि ऐसा माना जाए कि ‘‘सभी न्यायाधीश अच्छे हैं। ’’

कोयला घोटाला के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज मामलों की सुनवाई में सरकारी वकील के तौर पर काम करने से छूट देने का अनुरोध करने वाली चीमा की एक अन्य याचिका पर सुनवाई के लिए अब अगले हफ्ते की तारीख दी गई है।

हालांकि, चीमा ने कोयला घोटाले में विशेष सरकारी वकील के तौर पर काम करने के लिए सहमति जताई है।

शीर्ष अदालत ने 15 मार्च को दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से निचली अदालत के ''उच्च क्षमता एवं पूर्ण सत्यनिष्ठा'' वाले पांच न्यायाधीशों के नाम मांगे थे, ताकि उनमें से किसी को 2014 के कोयला घोटाला मामले की सुनवाई कर रहे भरत पराशर के स्थान पर विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया जा सके।

शीर्ष अदालत ने 2014 में 214 कोयला खदानों के आवंटन रद्द कर दिए थे, जिन्हें वर्ष 1993 से 2010 के बीच केंद्र सरकार ने आवंटित किया था। साथ ही विशेष सीबीआई न्यायाधीश के समक्ष सुनवाई के आदेश दिए थे।

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