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उच्चतम न्यायालय कृषि कानूनों पर गठित समिति के सदस्यों पर आक्षेप लगाए जाने से नाराज

By भाषा | Updated: January 20, 2021 15:36 IST

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नयी दिल्ली, 20 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों पर बने गतिरोध को समाप्त कराने के लिए अपने द्वारा गठित की गई समिति के सदस्यों पर कुछ किसान संगठनों द्वारा आक्षेप लगाए जाने पर बुधवार को नाराजगी जाहिर की और कहा कि उसने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है।

इस बीच, केन्द्र सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर हस्तक्षेप करने के अनुरोध वाली याचिका बुधवार को उस वक्त वापस ले ली जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह पुलिस से जुड़ा मामला है।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने समिति से जुड़े मामले पर कहा कि पीठ ने समिति में विशेषज्ञों की नियुक्ति की है क्योंकि न्यायाधीश इस मामले के विशेषज्ञ नहीं हैं।

दरअसल शीर्ष अदालत ने चार सदस्यीय एक समिति गठित की थी, जिसके बाद कुछ किसान संगठनों ने आक्षेप लगाया था कि समिति के कुछ सदस्यों ने पूर्व में कृषि कानूनों का पक्ष लिया था। विवाद को देखते हुए समिति के एक सदस्य समिति से हट गए थे।

पीठ ने कहा, ‘‘ इसमें पक्षपाती होने का प्रश्न ही कहां हैं? हमने समिति को फैसला सुनाने का अधिकार नहीं दिया है। आप पेश नहीं होना चाहते, इस बात को समझा जा सकता है, लेकिन किसी ने अपनी राय व्यक्त की थी केवल इसलिए उस पर आक्षेप लगाना उचित नहीं। आपको किसी को इस तरह से ब्रांड नहीं करना चाहिए।’’

इसने कहा,‘‘प्रत्येक व्यक्ति की राय होनी चाहिए। यहां तक कि न्यायाधीशों का भी मत होता है। यह एक संस्कृति बन गई है। जिसे आप नहीं चाहते, उन्हें ब्रांड करना नियम बन गया है। हमने समिति को फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं दिया है।’’

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई सुनवाई के बाद केन्द्र सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर हस्तक्षेप करने के अनुरोध वाली याचिका बुधवार को उस वक्त वापस ले ली जब उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ‘‘ यह पुलिस से जुड़ा मामला है।’’

पीठ ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली निकालने से जुड़े मुद्दे से निपटने का अधिकार पुलिस के पास है।

इसने कहा,‘‘ हम आपको बता चुके हैं कि हम कोई निर्देश नहीं देंगे। यह पुलिस से जुड़ा मामला है। हम इसे वापस लेने की अनुमति आपको देते हैं। आपके पास आदेश जारी करने के अधिकार हैं, आप करिए। अदालत आदेश जारी नहीं करेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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