उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को नारद रिश्वत मामले में अपील वापस लेने की अनुमति दी

By भाषा | Updated: May 25, 2021 20:54 IST2021-05-25T20:54:29+5:302021-05-25T20:54:29+5:30

Supreme Court allows CBI to withdraw appeal in Narada bribery case | उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को नारद रिश्वत मामले में अपील वापस लेने की अनुमति दी

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को नारद रिश्वत मामले में अपील वापस लेने की अनुमति दी

नयी दिल्ली, 25 मई उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसने तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं सहित चार नेताओं को नारद रिश्वत मामले में घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एजेंसी के खिलाफ ‘धरना’ को सही नहीं मानती है, लेकिन आरोपियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित नहीं होनी चाहिए।

उच्चतम न्यायालय ने मामले में आरोप पत्र दायर होने के बाद टीएमसी नेताओं द्वारा प्रदर्शन और गिरफ्तारियों की सीबीआई की कार्रवाई पर कड़ी टिप्पणी की लेकिन बाद में कहा, ‘‘हमने गुण-दोषों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। (सीबीआई की विशेष अनुमति) याचिका को वापस लेने की अनुमति दी जाती है।’’

न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘‘कलकत्ता उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा अपना विचार दिए जाने के बाद हम मामले पर गौर करेंगे। हम गुण-दोष के आधार पर कुछ भी आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं। सॉलिसीटर जनरल ने स्वीकार किया है कि मामले पर पांच न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही है और उन्होंने आग्रह किया है कि उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए ताकि यहां उठाए गए सभी मुद्दों को उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया जा सके। अन्य सभी पक्षों को भी इस तरह के सभी मुद्दे उठाने की स्वतंत्रता है।’’

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई की अपील पर करीब एक घंटे तक सुनवाई की और कहा कि वह उच्च न्यायालय की पीठ को मामले पर सुनवाई करने और निर्णय करने के अवसर से वंचित नहीं करना चाहती है। पीठ ने कहा कि उसके पास संविधान पीठ के फैसले पर विचार करने का अवसर होगा।

बहरहाल, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई को भीड़ की हिंसा का सामना करना पड़ा और उसे अपना काम करने से रोका गया।

पीठ ने कहा कि वह मंत्रियों द्वारा ‘धरना’ को सही नहीं मानती है लेकिन मुद्दा यह है कि क्या आरोपियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित होनी चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि हम ‘धरना’ को सही नहीं मानते हैं। लेकिन अगर मुख्यमंत्री या कानून मंत्री कानून अपने हाथ में लेते हैं तो क्या इस कारण आरोपियों को दिक्कत आनी चाहिए। जिन लोगों ने कानून अपने हाथ में लिए आप उनके खिलाफ कार्यवाही कर सकते हैं।’’

वरिष्ठ वकील ए. एम. सिंघवी, सिद्धार्थ लूथरा, समीर सोढ़ी, कुणाल वजानी और देवांजन मंडल आरोपियों की तरफ से पेश हुए। वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने मामले में पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व किया।

उच्च न्यायालय ने 21 मई को पश्चिम बंगाल के दो मंत्रियों, एक विधायक और कोलकाता के पूर्व महापौर को जेल से हटाकर उनके घरों में ही नजरबंद करने के आदेश दिए थे।

उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 24 मई को मामले में सुनवाई की और मामले में सुनवाई स्थगित करने के सीबीआई के आग्रह को मानने से इंकार कर दिया।

नारद स्टिंग टेप मामले में पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फरहाद हकीम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व महापौर शोभन चटर्जी को सीबीआई ने पिछले सोमवार को गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय के 2017 के एक आदेश पर एजेंसी मामले की जांच कर रही है।

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Web Title: Supreme Court allows CBI to withdraw appeal in Narada bribery case

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