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सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के 9 नवगठित जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव को किया स्थगित, दिया ये आदेश

By भाषा | Updated: December 6, 2019 13:37 IST

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दो विकल्प दिए थे और इससे पूछा था कि वह जिलों के विभाजन को स्थगित करने पर सहमत है या फिर नौ नवगठित जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव न कराने पर सहमत है।

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ठळक मुद्दे राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को घोषणा की थी कि तमिलनाडु में स्थानीय निकाय चुनाव औपचारिकताओं के अनुपालन के बिना दो चरणों में 27 और 30 दिसंबर को होगा।इसने तमिलनाडु राज्य निर्वाचन आयोग को परिसीमन और अन्य औपचारिकताएं नए सिरे से कराने तथा इसे चार महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के नौ नए जिलों में परिसीमन और आरक्षण जैसी कानूनी औपचारिकताएं चार महीने के भीतर पूरी करने के लिए स्थानीय निकाय चुनाव को स्थगित करने का शुक्रवार को निर्णय किया। ये नवगठित जिले चार जिलों को विभाजित कर बनाए गए हैं।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने तमिलनाडु सरकार के इस सुझाव पर विचार किया कि वह नए सिरे से परिसीमन और महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षण जैसी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए नौ जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव को स्थगित करना चाहती है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की भी भगीदारी वाली पीठ ने कहा, ‘‘तमिलनाडु के शेष नौ जिलों में चुनाव कराने पर कोई कानूनी रोक नहीं होगी।’’

इसने तमिलनाडु राज्य निर्वाचन आयोग को परिसीमन और अन्य औपचारिकताएं नए सिरे से कराने तथा इसे चार महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया। पीठ ने यह भी कहा कि दक्षिणी राज्य में शेष जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार को घोषणा की थी कि तमिलनाडु में स्थानीय निकाय चुनाव औपचारिकताओं के अनुपालन के बिना दो चरणों में 27 और 30 दिसंबर को होगा।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को दो विकल्प दिए थे और इससे पूछा था कि वह जिलों के विभाजन को स्थगित करने पर सहमत है या फिर नौ नवगठित जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव न कराने पर सहमत है। राज्य सरकार के वकील ने इस पर अदालत को सूचित किया था कि सरकार नौ जिलों में चुनाव को स्थगित करने पर विचार कर रही है और अन्य जिलों में स्थानीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया जारी रहेगी।

शीर्ष अदालत का फैसला द्रमुक की ओर से दायर एक याचिका पर आया जिसमें राज्य सरकार को स्थानीय निकाय चुनाव के लिए चुनाव अधिसूचना जारी होने और चुनाव होने से पहले परिसीमन, आरक्षण तथा अन्य कानूनी आवश्यकताएं पूरी करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था। 

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