मुजफ्फरनगर के गांवों में कृषि कानूनों के मुकाबले गन्ने का मुद्दा अधिक हावी

By भाषा | Updated: February 28, 2021 20:26 IST2021-02-28T20:26:30+5:302021-02-28T20:26:30+5:30

Sugarcane issue dominates in villages of Muzaffarnagar more than agricultural laws | मुजफ्फरनगर के गांवों में कृषि कानूनों के मुकाबले गन्ने का मुद्दा अधिक हावी

मुजफ्फरनगर के गांवों में कृषि कानूनों के मुकाबले गन्ने का मुद्दा अधिक हावी

(जतिन ठक्कर और किशोर द्विवेदी)

मुजफ्फरनगर, 28 फरवरी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर जिले के गांवों में किसानों का विरोध नए कृषि कानूनों के मुकाबले गन्ने की स्थिर कीमतों और आवारा पशुओं को लेकर अधिक नजर आ रहा है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस जिले के सठेरी गांव के किसान राजकुमार ने कहा कि बुजुर्ग कहते हैं कि कृषि जीविका कमाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है और दूसरे की नौकरी करना सबसे खराब जबकि अब इसको लेकर नई सच्चाई सामने आ रही है।

कुमार ने कहा कि पिछले कई वर्षों से गन्ने की कीमतों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है जबकि कंपनियों ने खाद की मात्रा और डीएपी बोरों की संख्या कम कर दी है जिससे लागत बढ़ने के साथ ही खेती करना मुश्किल हो गया है।

उन्होंने कहा, '' पहले कहते थे, उत्तम खेती-अधम नौकरी- मध्यम व्यापार । लेकिन, अब तो सब उलट गया है।''

मुजफ्फरनगर जिला दिल्ली से अधिक दूर नहीं है, जहां की सीमाओं पर किसान करीब तीन महीने से नए कृषि कानूनों के विरोध में डटे हुए हैं।

वहीं, कृषि कानूनों के सवाल पर राजकुमार ने कहा कि उन्हे इस बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है। हालांकि, वह प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि अब खेती-किसानी ''अस्थिर'' होती जा रही है।

इसी तरह की भावनाएं व्यक्त करते हुए छोटे स्तर के किसान रोशन लाल ने कहा कि तीन कृषि कानूनों से ज्यादा डीजल के बढ़ते दाम, गन्ने के लंबित भुगतान और आवारा पशुओं ने उनकी समस्या अधिक बढ़ाई हुई है।

कुमार के साथ खड़े लाल ने कहा, '' इन सब मुद्दों ने हमें किसानों के लिए आवाज उठाने पर मजबूर कर दिया।''

एक एकड़ से कम जमीन के मालिक और अपनी फसल का उपयोग गुड़ बनाने में करने वाले गनशामपुरा गांव के किसान सोहन ने कहा कि जब तक गन्ने के दामों में इजाफा नहीं होता, तब तक गुड़ की कीमतें भी स्थिर रहेंगी।

उन्होंने कहा, '' यहां तो ईख ही सब कुछ है, उसका दाम बढ़ेगा तो गुड़ का भी दाम बढ़ेगा वरना तो मजदूरी भी बचना मुश्किल है।''

सोहन ने कहा कि उन्होंने कृषि कानूनों के बारे में सुना है लेकिन इसके बारे में अधिक नहीं जानते। साथ ही उन्होंने आवारा पशुओं का मुद्दा उठाया।

वहीं, ग्रामीण भूपेंद्र चौधरी ने कहा, '' नए कृषि कानून ना केवल किसानों बल्कि देश के भी खिलाफ हैं। जो सीमा पर सुरक्षा कर रहे हैं, वो भी हमारे बेटे हैं और उनके पीठ पीछे आप उनके भाइयों के अधिकार छीन रहे हैं जोकि खेती कर रहे हैं।

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Web Title: Sugarcane issue dominates in villages of Muzaffarnagar more than agricultural laws

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