राजद द्वारा नोटिस दिए जाने के बावजूद सुधाकर सिंह नहीं हो रहे शांत, नीतीश कुमार पर फिर बोला हमला
By एस पी सिन्हा | Published: January 21, 2023 04:39 PM2023-01-21T16:39:14+5:302023-01-21T16:40:13+5:30
सुधाकर सिंह ने एक बार फिर मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा वन, टू और थ्री के बाद अब चौथी बनाने की बात हो रही है।
पटना: राजद द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किये जाने के बावजूद पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आग उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में राजद नहीं नीतीश कुमार की सरकार है और महागठबंधन में होने वाले सारे फैसले लेने का अधिकार उन्हें दिया गया है। उन्हें ही तय करना है कि कैसे सरकार चलाएंगे? नीतीश कुमार के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कहने को लेकर उन्होंने साफ कहा कि एक भी आपत्तिजनक शब्द नहीं हैं। मैंने अब तक जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, वे संसदीय शब्द है।
बक्सर के चौसा में पुलिस द्वारा किसानों की पिटाई के लिए सुधाकर सिंह ने सीधे-सीधे नीतीश सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने साफ-साफ कहा कि बिहार सरकार सिर्फ किसान हितैषी होने की बात करती है। जबकि सच्चाई यह है कि किसान समर्थक या किसान हितैषी तो कतई नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार का दोष है कि उन्होंने लाठी चार्ज करवाया। अपने ही किसानों पर जो वास्तविक मुद्दों पर लड़ रहे थे। सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए। लेकिन इसके उलट कंपनियों के प्रभाव में आकर भारत सरकार के निर्देश पर किसानों पर लाठी चलायी गई।
समाजवादी पार्टियों की सरकारें ऐसा नहीं करती है। सुधाकर सिंह ने एक बार फिर मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कृषि रोड मैप पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा वन, टू और थ्री के बाद अब चौथी बनाने की बात हो रही है। देख लें कि पहले के कृषि रोड मैप की उपलब्धि शून्य है। डॉ. मंगला राय के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में बिहार फेल हो गया। फिर से चौथे कृषि रोड मैप के लिए सरकार ने उनकी नियुक्ति की है। करोड़ों नहीं, अरबों नहीं बल्कि खरबों रुपया लगा हुआ है इसमें। जो पूरी तरह से बर्बाद हो रहे हैं। सुधाकर सिंह ने कहा कि कृषि रोड मैप ऐसी योजना है, जिसकी ऑडिट जांच होनी चाहिए।
पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि इसके लिए उन्होंने पत्र लिखा था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जाहिर है सरकार में ऊपर बैठे लोग नहीं चाहते हैं कि चीजें ठीक हों। उन्होंने कहा कि किसानों के अनाज की खरीद में अवैध लेन-देन व्यापक पैमाने पर है। इसमें पैक्स के अलावा मल्टीएजेंसियों को शामिल किया जाए। मेरी मांग प्राइवेट एजेंसियों को लाने की नहीं है, सरकार की कई कॉपरेटिव एजेंसियां हैं। इससे किसानों को अनाज का उचित मूल्य मिल पाएगा। लेकिन बिहार की सत्ता में बैठे लोगों की मंशा साफ नहीं है।