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'राज्य बार काउंसिल एक वर्ष के भीतर अधिवक्ताओं के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करे'

By भाषा | Updated: December 18, 2021 16:40 IST

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नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ (बीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह राज्य बार काउंसिल से अधिवक्ता अधिनियम की धारा 35 के तहत मिली शिकायतों का एक साल के भीतर निपटारा करने को कहे।

शीर्ष अदालत ने बीसीआई को हस्तांतरित शिकायतों का भी निपटारा उनकी प्राप्ति की तारीख से एक वर्ष के भीतर करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि केवल असाधारण मामलों में वैध कारणों के साथ ही राज्यों से शिकायतों को बीसीआई को भेजा जाना चाहिए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम बार काउंसिल ऑफ इंडिया को हस्तांतरित की गई शिकायतों का अंतिम रूप से त्वरित निपटारा करने का निर्देश देते हैं, जिनका विवरण यहां दिया गया है, इनके निपटान में एक साल से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए और इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया की अनुशासनात्मक समिति भी सर्किट सुनवाई कर सकती है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत, कानूनी पेशे की अखंडता की रक्षा करना बीसीआई और राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है। उसने शुक्रवार को दिए अपने फैसले में कहा कि बीसीआई और संबंधित राज्य बार काउंसिल का कर्तव्य है कि वे कानूनी व्यवस्था की श्रेष्ठता हर कीमत पर सुनिश्चित करें।

पीठ ने कहा, ‘‘अधिवक्ता अधिनियम की धाराओं 35 और 36 बी के तहत बार के सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। धारा 35 और / या धारा 36 के तहत प्राप्त शिकायत का उसकी प्राप्ति और/या बार काउंसिल ऑफ इंडिया में ऐसी कार्यवाही की तिथि से एक वर्ष की अवधि के भीतर निपटारा करने का आदेश है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘अधिनियम में दिए गए समय के भीतर शिकायत का निपटारा नहीं करना अधिवक्ता अधिनियम के तहत निर्धारित कर्तव्य को निभाने में उनकी विफलता के समान होगा।’’

अदालत ने कहा कि बीसीआई के समक्ष 1,246 शिकायतें लंबित हैं और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित और आवश्यक है कि उक्त शिकायतों के निपटान के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार एक तंत्र खोजा जाए।

उसने कहा कि शिकायतों के कुशल और त्वरित निपटान के लिए बीसीआई अनुभवी अधिवक्ताओं और / या सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों को जांच अधिकारियों के रूप में कार्य करने के लिए सूचीबद्ध करने पर विचार कर सकता है और उनकी जांच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद शिकायत पर उचित आदेश दे सकता है।

न्यायालय ने यह फैसला बीसीआई की अनुशासन समिति द्वारा पारित उस आदेश के खिलाफ दायर एक अपील पर दिया, जिसमें समिति ने अपीलकर्ता द्वारा उसके वकील के खिलाफ दायर शिकायत को खारिज कर दिया था। अपीलकर्ता ने पेशेवर कदाचार के आधार पर अपने वकील के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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