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स्टैन स्वामी की मौत : कार्यकर्ताओं ने रोष जताया

By भाषा | Updated: July 5, 2021 22:27 IST

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नयी दिल्ली, पांच जुलाई पादरी और आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता स्टैन स्वामी के निधन पर कार्यकर्ताओं ने सोमवार को रोष प्रकट किया और ‘‘हिरासत में मौत’’ के लिए सरकार से जिम्मेदारी तय करने की मांग की।

एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी पादरी-कार्यकर्ता स्टैन स्वामी का सोमवार को एक अस्पताल में निधन हो गया। वह चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत का इंतजार कर रहे थे। उनकी उम्र 84 साल थी।

एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एक सम्मेलन के दौरान भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि इन्हीं भाषणों के कारण अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। पुलिस ने दावा किया था कि माओवादियों से जुड़ाव रखने वाले लोगों ने इस सम्मेलन का आयोजन किया था।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के पोलित ब्यूरो की सदस्य कविता कृष्णन ने कहा, ‘‘फादर स्टैन के लिए हम शोक नहीं जता रहे...हम आज भारत में न्यायिक प्रक्रिया, संविधान की मौत पर शोक व्यक्त करते हैं।’’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘सब खत्म हो गया। मोदी, शाह ने उदार जेसुइट सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी की हिरासत में हत्या को अंजाम दिया। स्वामी ने अपना जीवन उत्पीड़ितों की सेवा में बिताया। मुझे उम्मीद है कि जिन न्यायाधीशों ने उन्हें जमानत देने से इनकार किया था, उन्हें रात को कभी नींद नहीं आएगी। उनके हाथों पर खून के निशान हैं।’’

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर ने स्वामी के निधन को देश के लिए त्रासदीपूर्ण घटना बताया। मंदर ने कहा, ‘‘वह आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए समर्पित थे। सज्जन, बहादुर, यहां तक कि जेल से भी उन्होंने अपने लिए नहीं बल्कि गरीब कैदियों के साथ अन्याय के खिलाफ आवाज उठायी। एक क्रूर सरकार ने उन्हें अपनी आवाज को चुप कराने के लिए जेल में डाल दिया, न्यायपालिका ने उनकी स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए कुछ नहीं किया। देश के लिए यह त्रासदी है।

भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाने वालीं और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने स्वामी की मौत को ‘संस्थागत हत्या’ बताया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यूएपीए के साथ, प्रक्रिया ही सजा है...84 वर्षीय फादर स्टैन स्वामी की मृत्यु को इस बात के लिए पहचाना जाना चाहिए कि यह क्या है - संस्थागत हत्या।’’

कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने ट्वीट किया, ‘‘स्टैन स्वामी नहीं रहे। यूएपीए, एनआईए, राजद्रोह के फर्जी आरोपों के तहत हिरासत में विचाराधीन कैदी के रूप में उनका निधन हो गया। यह मौत नहीं बल्कि हिरासत में हत्या का मामला है। सरकार को जवाबदेह बनाना होगा।’’

नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड (एनपीआरडी) ने भी स्वामी के निधन पर शोक जताया और रोष प्रकट किया। समानता आजादी और न्याय के लिए समर्पित मुहिम कारवां-ए-मोहब्बत ने कहा, ‘‘फादर स्टैन स्वामी का निधन हो गया। वह अब आजाद हो गए। जिस सरकार ने इस बहादुर, महान आत्मा पर क्रूरता की, उसके हाथों हत्या हुई।’’

अधिकार समूह ‘ट्राइबल आर्मी’ ने कहा कि स्वामी ने बस यही गुनाह किया कि वह देश के दबे कुचले आदिवासी लोगों के साथ खड़ा रहे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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