कठिन समय से जूझ रहा श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, खर्चों को पूरा करने के लिए दान पर्याप्त नहीं: प्रशासन ने न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: September 17, 2021 18:47 IST2021-09-17T18:47:04+5:302021-09-17T18:47:04+5:30

Sree Padmanabhaswamy Temple going through tough times, donations not enough to meet expenses: Administration tells SC | कठिन समय से जूझ रहा श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, खर्चों को पूरा करने के लिए दान पर्याप्त नहीं: प्रशासन ने न्यायालय से कहा

कठिन समय से जूझ रहा श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, खर्चों को पूरा करने के लिए दान पर्याप्त नहीं: प्रशासन ने न्यायालय से कहा

नयी दिल्ली, 17 सितंबर केरल में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रशासनिक समिति ने न्यास की लेखा परीक्षा का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मंदिर बहुत मुश्किल समय से जूझ रहा है और वहां चढ़ाया जाने वाला दान इसके खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। मंदिर न्यास का संचालन त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जा रहा है।

समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ से कहा कि केरल के सभी मंदिर बंद हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मासिक खर्च 1.25 करोड़ रुपये है, जबकि हमें मुश्किल से 60-70 लाख रुपये मिल पाते हैं इसलिए हमने कुछ दिशा-निर्देशों का अनुरोध किया है।’’

बसंत ने कहा कि मंदिर वित्तीय समस्याओं से गुजर रहा है और हम इसके संचालन में सक्षम नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि न्यास लेखा परीक्षा के लिए अपना रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराकर अपने दायित्व से बचने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा कि 2013 की लेखा परीक्षा रिपोर्ट के अनुसार न्यास के पास 2.87 करोड़ नकद और 1.95 करोड़ की संपत्ति है और इसीलिए यह पता लगाने के लिए कि उसके पास कितना पैसा है, पूरी बात पर गौर करना होगा।

बसंत ने पीठ से कहा कि न्यायालय के आदेश पर एक न्यास का गठन किया गया है और उसे मंदिर में योगदान देना चाहिए।

न्यास की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने तर्क दिया कि यह शाही परिवार द्वारा बनाया गया एक सार्वजनिक न्यास है और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है और यह न्यास याचिका में पक्षकार नहीं है। उन्होंने कहा कि मामले में न्यायमित्र ने न्यास का केवल जिक्र किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस न्यास का गठन मंदिर में परिवार की संलिप्तता वाली पूजा एवं अनुष्ठानों की निगरानी करने के लिए किया गया था और इसकी प्रशासन में कोई भूमिका नहीं है। न्यास के खातों की लेखा-परीक्षा किए जाने की न्यायमित्र की मांग के बाद ही यह उच्चतम न्यायालय के समक्ष इसका जिक्र किया गया।’’

दातार ने कहा कि इसकी लेखा-परीक्षा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह मंदिर से अलग है।

न्यायालय ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर न्यास को 25 साल का लेखा परीक्षा कराने के पिछले साल के आदेश से छूट के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई पूरी करके अपना आदेश सुरक्षित रखा था।

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केरल उच्च न्यायालय के 2011 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया था, जिसमें ऐतिहासिक मंदिर के प्रबंधन और सम्पत्तियों का नियंत्रण लेने के लिए एक न्यास गठित किए जाने का राज्य सरकार को आदेश दिया गया था।

शीर्ष अदालत ने देश में सबसे अमीर समझे जाने वाले मंदिरों में शामिल इस मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार बरकरार रखे थे।

न्याय मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम के सुझाव के अनुसार, न्यायालय ने प्रशासनिक समिति को पिछले 25 वर्षों से मंदिर की आय और व्यय की लेखा-परीक्षा का आदेश दिया था।

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