लद्दाख: एक बार फिर क्लाइमेट फास्ट से रोष जता रहे हैं सोनम वांगचुक, जानें पूरा मामला

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: June 19, 2023 18:05 IST2023-06-19T18:04:04+5:302023-06-19T18:05:01+5:30

केंद्र शासित प्रदेश का जो दर्जा 30 सालों के आंदोलन के बाद बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के लोगों ने 5 अगस्त 2019 को पाया था वह उन्हें रास नहीं आया है। नतीजतन बर्फीले रेगिस्तान में आग के शोले केंद्र सरकार की अनदेखी और कथित उपनिवेशवाद की रणनीति भड़का रही है।

Sonam Wangchuk is once again expressing anger with Climate Fast in Ladakh | लद्दाख: एक बार फिर क्लाइमेट फास्ट से रोष जता रहे हैं सोनम वांगचुक, जानें पूरा मामला

(फाइल फोटो)

Highlightsलद्दाख अपने अधिकारों का संरक्षा चाहता है।वे विशेषाधिकार तथा पर्यावरण सुरक्षा चाहते हैं।वांगचुक पिछले छह महीनों में दूसरी बार ‘क्लाइमेट फास्ट’ (जलवायु उपवास) पर हैं।

जम्मू: केंद्र शासित प्रदेश का जो दर्जा 30 सालों के आंदोलन के बाद बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख के लोगों ने 5 अगस्त 2019 को पाया था वह उन्हें रास नहीं आया है। नतीजतन बर्फीले रेगिस्तान में आग के शोले केंद्र सरकार की अनदेखी और कथित उपनिवेशवाद की रणनीति भड़का रही है। लद्दाख अपने अधिकारों का संरक्षा चाहता है। वे विशेषाधिकार तथा पर्यावरण सुरक्षा चाहते हैं। 

इसके लिए थ्री इडियटस से प्रसिद्ध हुए सोनम वांगचुक ने नाजुक पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपने अभियान के समर्थन में रविवार को एक बार फिर यहां सात दिवसीय अनशन शुरू किया। वांगचुक पिछले छह महीनों में दूसरी बार ‘क्लाइमेट फास्ट’ (जलवायु उपवास) पर हैं। 

वांगचुक ने कल एनडीएस स्टेडियम में संवाददाताओं से कहा कि हमने ‘जलवायु उपवास’ का पहला दिन केंद्र सरकार और हमारे नेताओं के बीच वार्ता की सफलता के लिए समर्पित किया है। इस साल जनवरी में भी वे पांच दिनों तक बर्फ के ऊपर माइन्स 20 डिग्री तापमान में क्लाइमेट फास्ट भी कर चुके हैं। उनके साथ प्रशासन द्वारा किए गए कथित व्यवहार के कारण लद्दाख की जनता का गुस्सा और भड़का है।

लेह जिले के आलची के पास उलेयतोकपो में जन्मे 56 वर्षीय वांगचुक सामुदायिक शिक्षा के अपने माडल के लिए दुनियाभर में जाने जाते हैं। रेमन मैग्सेसे अवार्ड पा चुके वांगचुक लद्दाख क्षेत्र को विशेष अधिकारों और पर्यावरणीय सुरक्षा की मांग के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि हिमालयी क्षेत्र को बचाने के लिए लद्दाख को विशेष दर्जे की जरूरत है।

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत जातीय और जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों के अपने-अपने क्षेत्रों के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। फिलहाल भारत के चार राज्य मेघालय असम, मिजोरम और त्रिपुरा के दस जिले इस अनुसूची का हिस्सा हैं। लद्दाख जनता और वांगचुक की मांग है कि लद्दाख को भी इस अनुसूची के तहत विशेषाधिकार दिए जाएं। 

पिछले पांच दिन के उपवास के दौरान वांगचुक की मांगों को भारी समर्थन मिला है। भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर बाकी सभी दलों ने उनकी मांगों का समर्थन किया है। वांगचुक का ताजा अनशन गृह मंत्रालय और लेह स्थित एपेक्स निकाय और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के छह सदस्यीय संयुक्त प्रतिनिधिमंडल के बीच बातचीत से एक दिन पहले शुरू हुआ है जो पूर्ण राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा उपाय, दो जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटें और लद्दाख के युवाओं के लिए भर्ती और नौकरी में आरक्षण की मांग कर रहे हैं। 

एनडीएस स्टेडियम में इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे। वांगचुक ने कहा कि लद्दाख में हजारों और लोग उपवास कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख पर्यावरण के साथ-साथ अपनी सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान की उपस्थिति दोनों के संबंध में एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्र है। हम अपने मुद्दों का शांतिपूर्ण तरीके से बिना किसी व्यवधान या आंदोलन के समाधान चाहते हैं।

वांगचुक कहते थे कि मेरी लोगों से अपील है कि वे बड़े शहरों में सादगी से रहें ताकि हम पहाड़ों में आसानी से जीवित रह सकें। मेरा उपवास दुनिया के लिए एक खतरे की घंटी की तरह है क्योंकि हमें ग्लोबल वार्मिंग को उलटने के लिए आवश्यक बदलाव करना है जो हमारे पहाड़ों और ग्लेशियरों को प्रभावित कर रहा है, जिससे लोगों और जानवरों के जीवन को खतरा पैदा कर रहा है।

Web Title: Sonam Wangchuk is once again expressing anger with Climate Fast in Ladakh

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