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वीजा पर पाकिस्तान गए कुछ कश्मीरी युवाओं के आतंकवादी समूहों में शामिल होने की आशंका

By भाषा | Updated: February 7, 2021 16:34 IST

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(सुमीर कौल)

श्रीनगर, सात फरवरी पिछले तीन साल में वैध वीजा पर कम अवधि के लिए पाकिस्तान गए करीब 100 कश्मीरी युवा या तो वापस नहीं आए हैं या लौटने के बाद लापता हो गए हैं, जिसके कारण सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।

इन एजेंसियों को आशंका है कि ये युवा सीमा पार सक्रिय आतंकवादी समूहों के संभावित ‘स्लीपर सेल’ हैं।

सुरक्षा एजेंसियों के विभिन्न अधिकारियों ने बताया कि उत्तर कश्मीर के हंदवाड़ा के सीमावर्ती इलाके के जंगलों में पिछले साल अप्रैल में पांच आतंकवादियों के मारे जाने के बाद उस समय सुरक्षा बल सतर्क हो गए, जब यह पता चला कि इनमें से एक आतंकवादी स्थानीय नागरिक है, जो 2018 में पाकिस्तान गया था और इसके बाद लौटा ही नहीं।

उन्होंने बताया कि पिछले साल एक अप्रैल से छह अप्रैल के बीच दक्षिण कश्मीर के शोपियां, कुलगाम और अनंतनाग जिलों के युवाओं को घुसपैठ कर रहे आतंकवादियों के समूहों में देखा गया और वे सभी वैध दस्तावेजों के साथ पाकिस्तान गए थे और इसके बाद कभी वापस नहीं आए।

अधिकारियों ने बताया कि वाघा बॉर्डर पर आव्रजन अधिकारी और दिल्ली हवाई अड्डे के अधिकारियों समेत सुरक्षा एजेंसियां पिछले तीन साल से अधिक समय में सात से अधिक दिनों के लिए वैध वीजा पर यात्रा करने वाले कश्मीरी युवाओं के डेटा एकत्र कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि इस दौरान मिले आंकड़े हैरान करने वाले हैं और कुछ मामलों में यह पाया गया कि युवा कभी वापस ही नहीं आए और कुछ युवा लौटने के बाद लापता हो गए। इसके बाद इस बात की आशंका पैदा हो गई कि वे संभवत: ‘स्लीपर सेल’ बन गए हैं, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई या सीमा पार से आतंकवादी समूहों के अपने आकाओं से निर्देश मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि हालिया वर्षों में पाकिस्तान गए कश्मीरी युवाओं को पूछताछ के लिए बुलाया गया और सुरक्षा एजेंसियों ने उनके लौटने के बाद उनकी गतिविधियों का उचित विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान कुछ असुविधाएं हुईं, लेकिन एहतियात हमेशा इलाज से बेहतर होती है।

अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान जाने वाले लोगों से उनकी यात्रा का उचित कारण जाना। इन लोगों की पृष्ठभूमि की जांच की गई और इनकी पृष्ठभूमि की छोटे से छोटे स्तर पर पुष्टि की गई।

उन्होंने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि नए लोगों को आतंकवादी समूहों में शामिल करने के लिए छह सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन खुफिया जानकारी के अनुसार, कुछ युवाओं को आसानी से उपलब्ध विस्फोटकों की मदद से आईईडी बनाने का तरीका एक सप्ताह के भीतर ही सिखा दिया गया।

उन्होंने बताया कि लापता युवा मुख्य रूप से मध्यम वर्ग से संबंध रखते हैं और उन्हें कश्मीर में आतंकवाद का नया चेहरा बताया जा रहा है। वे संभवत: हथियारों के पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं, जो नियंत्रण रेखा पर कड़ी सतर्कता के कारण उन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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