लिव-इन संबंधों की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही है: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: May 20, 2021 23:32 IST2021-05-20T23:32:26+5:302021-05-20T23:32:26+5:30

Social acceptability of live-in relationships is increasing: Punjab and Haryana High Court | लिव-इन संबंधों की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही है: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

लिव-इन संबंधों की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही है: पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

चंडीगढ़, 20 मई पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने लिव-इन संबंध में रह रहे दंपति को सुरक्षा देते हुए टिप्पणी की कि इस प्रकार के संबंधों की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही है।

न्यायमूर्ति सुधीर मित्तल ने मंगलवार को यह आदेश दिया। इससे कुछ ही दिन पहले उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ में एक अलग मामले में कहा था कि लिव-इन संबंध नैतिक और सामाजिक रूस से अस्वीकार्य हैं।

याचिकाकर्ताओं जींद निवासी परदीप (26) और पूजा (23) के वकील देंवेद्र आर्य ने बताया कि इस प्रेमी जोड़े की याचिका की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मित्तल ने यह टिप्पणी की।

परदीप और पूजा ने अभिवेदन दिया कि वे वयस्क हैं और उन्होंने अच्छी तरह सोच-विचारकर लिव-इन संबंध में रहने का फैसला किया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पूजा का परिवार इस संबंध के खिलाफ है और उसने उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की धमकी दी है।

हरियाणा राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने याचिकाकर्ताओं को संरक्षण देने का विरोध करते हुए कहा कि लिव-इन संबंध कानूनी नहीं हैं और समाज इसे स्वीकार नहीं करता।

न्यायमूर्ति मित्तल ने इस पर टिप्पणी की कि भारत का संविधान देश का सर्वोच्च कानून है और उसमें जीवन जीने और स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है और यह इसकी मूल विशेषता समझी जाती है।

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने का अधिकार है।

उन्होंने कहा, ‘‘हर व्यक्ति को विवाह के जरिए अपने साथी के साथ संबंधों को औपचारिक करने या लिव-इन संबंध का अनौपचारिक विकल्प चुनने का अधिकार है।’’

न्यायमूर्ति मित्तल ने कहा कि लिव-इन संबंधों की सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ रही है और ऐसे संबंध में रहने वाले व्यक्तियों को भी देश के अन्य नागरिकों की तरह संरक्षण का पूरा अधिकार है।

हालांकि 11 मई को न्यायमूर्ति एच एस मदान की एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि कि लिव-इन संबंध नैतिक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य हैं। पीठ ने घर से भागे एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

याचिकाकर्ता गुलजा कुमारी (19) और गुरविंदर सिंह (22) ने याचिका में कहा था कि वे एक साथ रह रहे हैं और जल्द ही शादी करना चाहते हैं। उन्होंने कुमारी के माता-पिता से अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई थी।

न्यायमूर्ति एचएस मदान ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘वास्तव में, याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका दायर करने की आड़ में अपने लिव-इन संबंध पर अनुमोदन की मुहर की मांग कर रहे हैं, जो नैतिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है और याचिका में कोई सुरक्षा आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। याचिका खारिज की जाती है।

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Web Title: Social acceptability of live-in relationships is increasing: Punjab and Haryana High Court

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