एसकेएम ने कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया, रविवार को आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा

By भाषा | Updated: November 19, 2021 19:54 IST2021-11-19T19:54:55+5:302021-11-19T19:54:55+5:30

SKM welcomes decision to repeal agricultural laws, will decide on further course of action on Sunday | एसकेएम ने कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया, रविवार को आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा

एसकेएम ने कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले का स्वागत किया, रविवार को आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा

नयी दिल्ली, 19 नवंबर देश के लगभग 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि समूह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा का शुक्रवार को स्वागत किया और कहा कि शनिवार और रविवार को कोर कमेटी की बैठकों के बाद भविष्य की कार्रवाई पर फैसला किया जाएगा।

किसान नेता और एसकेएम की कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने कहा कि यह अच्छा है कि केंद्र ने कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है, लेकिन संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द करने की मांग की गई है।

उन्होंने कहा कि दूसरी मांग यह है कि केंद्र सरकार को फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक समझौता करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं।’’

पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जब तक ये मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हम विरोध स्थलों को नहीं छोड़ेंगे। आंदोलन के भविष्य पर आम सहमति बनाने और एमएसपी और किसानों की अन्य मांगों पर चर्चा करने के लिए शनिवार और रविवार को किसान संगठन की बैठक होगी। रविवार को एसकेएम की कोर कमेटी की बैठक में अंतिम फैसला लिया जाएगा।’’

एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा इस फैसले का स्वागत करता है। हम संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से इस घोषणा के क्रियान्वयन की प्रतीक्षा करेंगे।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘हमें उम्मीद है कि सरकार अपनी घोषणा को व्यर्थ नहीं जाने देगी और एमएसपी की गारंटी पर कानून समेत हमारी मांगों को पूरा करेगी।’’

किसान संगठन ने कहा कि यदि कृषि कानूनों को औपचारिक तौर पर निरस्त किया जाता है तो यह भारत में किसानों के एक साल लंबे संघर्ष की ‘‘ऐतिहासिक जीत’’ होगी।

एसकेएम ने कहा, ‘‘कृषि विरोधी कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ के मौके पर 26 नवंबर को बड़ी संख्या में किसानों को विरोध स्थलों पर लामबंद किया जा रहा है।’’

गौरतलब है कि विभिन्न किसान संघों के तत्वावधान में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बड़ी संख्या में किसान इन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले लगभग एक वर्ष से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की शुक्रवार को घोषणा की और कहा कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा।

एसकेएम ने कहा कि बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग अब भी लंबित है। उसने दावा किया कि इस संघर्ष में करीब 700 किसानों की मौत हो गई। उसने कहा, ‘‘केंद्र सरकार की हठ लखीमपुर खीरी में हत्याओं समेत उन सभी मौतों के लिए जिम्मेदार है, जिनसे बचा जा सकता था।’’

एसकेएम ने कहा कि हरियाणा के हांसी में बड़ी संख्या में किसानों ने 'शांतिपूर्वक ढंग से प्रदर्शन कर रहे' किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य रामचंद्र जांगड़ा के खिलाफ मामला दर्ज करने की शुक्रवार को मांग की।

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