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तिरसठ फीसद शिक्षण संस्थान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की परीक्षा पद्धतियां अपनाने के पक्ष में

By भाषा | Updated: July 27, 2021 20:48 IST

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मुंबई, 27 जुलाई शिक्षा के क्षेत्र पर कोरोना वायरस महामारी के प्रभाव के बीच भारत समेत दुनिया के विभिन्न देशों में 63 फीसद शिक्षण संस्थान परीक्षाएं आयोजित करने के लिए दोहरी व्यवस्था अपनाने के पक्ष में हैं।

मर्सेर मेट्टल की ‘ स्टेट ऑफ ऑनलाइन एक्जामिनेशंस रिपोर्ट, 2021’ के अनुसार पिछले 15 महीनों में इस महामारी ने शिक्षा क्षेत्र पर असर डाला है और परीक्षाएं डिजिटल माहौल की ओर बढ़ी हैं, लेकिन सर्वेक्षण से गुजरे 63 फीसद शिक्षण संस्थानों ने कहा कि वे दोहरी व्यवस्था के अनुसार परीक्षाएं आयोजित करेंगे यानी परीक्षाएं ऑफलाइन एवं ऑनलाइन दोनों का सम्मिश्रण होंगी।

इस सर्वेक्षण में 150 से अधिक शिक्षण संस्थानों के डीन, विभागाध्यक्षों, प्रोफेसरों एवं निर्णय प्रक्रिया से जुड़े अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों समेत 650 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।

रिपोर्ट के अनुसार, ये आंकड़े डिजिटल मूल्यांकन उपकरणों की व्यापक एवं त्वरित स्वीकार्यता को दर्शाते हैं और परीक्षा के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने के वास्ते शिक्षा क्षेत्र के तैयार रहने के तत्व को सामने लाते हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक दस में छह ने ऑनलाइन परीक्षा में नकल को अपनी प्राथमिक चिंता बताया, जो दर्शाता है कि ईमानदारी एवं निष्पक्ष माहौल में परीक्षाएं कराना ही अकादमिक जगत के लिए अन्य बातों से पहले आता है।

अध्ययन के अनुसार यह खुलासा सेवा प्रदाताओं के लिए सीधा संदेश है कि वे अपने मंचों की डिजिटल प्रारूप में नकल रोधी कुशलता बढ़ाएं। विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के पास डिजिटल मंचों के संदर्भ में मांगों की फेहरिस्त है। दस में सात लोगों ने नकल मुक्त डिजिटल परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन परीक्षा सेवा प्रदाताओं से बेहतर प्रणाली की उम्मीद की। करीब 62 फीसद का कहना था कि बहुविकल्पीय प्रश्न में डायग्राम एवं अन्य बातों को शामिल किया जाए।

मर्सेर मेट्टल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिद्धार्थ गुप्ता ने कहा कि शिक्षा एवं परीक्षा पद्धतियां महामारी के 15 महीनों में बहुत बड़े बदलाव से गुजरी हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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