गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली, बैरिकोड तोड़ दिल्ली में घुसे किसान, अक्षरधाम के पास दागे गए आंसू गैस के गोले
By भाषा | Updated: January 26, 2021 12:21 IST2021-01-26T11:55:41+5:302021-01-26T12:21:13+5:30
गणतंत्र दिवस के मौके पर आंदोलन कर रहे किसान ट्रैक्टर रैली भी निकाल रहे हैं। इस रैली में अब कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच भिड़ंत की खबरें आ रही हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार किसान तय रूट से अलग रास्तों पर भी बढ़ चले हैं।

रिपब्लिक डे पर किसानों का दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च (फोटो- एएनआई)
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी से लगे सिंघू और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों के कुछ समूह मंगलवार को पुलिस के अवरोधकों को तोड़कर दिल्ली में दाखिल हो गए।
इसके बाद ये किसान काफी समय तक मुकरबा चौक पर बैठे, लेकिन फिर उन्होंने वहां लगाए गए बैरिकेड और सीमेंट के अवरोधक तोड़ने की कोशिश की। इसके बाद किसानों के समूह पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। अक्षरधाम मंदिर के पास किसानों की जत्था बड़ी संख्या में पहुंच गया और वहां भी पुलिस से उनकी भिड़ंत हुई।
अधिकारियों के अनुसार सुरक्षा कर्मियों ने किसानों को समझाने की कोशिश भी की और कहा कि राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड के खत्म होने के बाद उन्हें दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करने की अनुमति दी गई है।
इसके बावजूद कई ट्रैक्टर नजर आए, जिन पर तिंरगे लगे थे। इनके साथ पुरुष तथा महिलाएं ढोल पर नाचते नजर आए। सड़क के दोनों ओर खड़े स्थानीय लोग फूलों की बारिश भी कर रहे थे।
कुछ किसान हाथ में विभिन्न किसान संगठनों के झंडे लिए और नारे लगाते पैदल चलते भी नजर आए। कुछ मोटर साइकिल और घोड़ों पर सवार थे। लोग अपने ट्रैक्टरों के ऊपर खड़े होकर नारे लगाते और क्रांतिकारी गीत गाते भी दिखे। स्थानीय लोगों ने मार्च में शामिल किसानों को खाद्य पदार्थ और पानी की बोतलें बांटी।
#WATCH Protestors push through police barricading on Delhi-Meerut Expressway near Pandav Nagar#FarmLawspic.twitter.com/X452wvwBZ6
— ANI (@ANI) January 26, 2021
कई जगहों पर बैरिकेड्स तोड़ किसान दिल्ली में दाखिल हुए
मौके पर मौजूद पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इससे पहले बताया था कि किसानों के कुछ समूह अवरोधक तोड़कर राष्ट्रीय राजधानी में दाखिल हो गए।
उन्होंने कहा, ‘‘ पुलिस और किसानों के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी थी कि वे निर्धारित समय पर परेड शुरू करेंगे, लेकिन वे जबरन दिल्ली में दाखिल हो गए । तय मार्ग के अनुसार उन्हें बवाना की ओर जाना था लेकिन उन्होंने आउटर रिंग रोड की ओर जाने की जिद शुरू कर दी।’’
#WATCH Protestors at Karnal bypass break police barricading to enter Delhi as farmers tractor rally is underway in the national capital#FarmLawspic.twitter.com/pzfJs6Ioef
— ANI (@ANI) January 26, 2021
दिल्ली पुलिस ने वार्षिक गणतंत्र दिवस परेड के बाद किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालने की रविवार को अनुमति दे दी थी। प्रदर्शनकारियों को कहा गया था कि वे राजपथ के जश्न को बाधित नहीं कर सकते, इस पर किसानों ने इस बात पर जोर दिया था कि उनकी परेड ‘‘शांतिपूर्ण’’ होगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ लेकिन किसानों के कुछ समूह माने नहीं और पुलिस के अवरोधक तोड़ कर आउटर रिंग रोड की ओर बढ़ने लगे।’’’
केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 41 किसान संघों के प्रमुख संगठन ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के एक सदस्य ने कहा कि अवरोधक तोड़ने वाले लोग ‘किसान मजदूर संघर्ष कमेटी’ के सदस्य थे।
उन्होंने कहा कि किसानों की ट्रैक्टर परेड पुलिस की अनुमति के बाद निर्धारित समय पर शुरू होगी।
प्रदर्शन कर रहे संगठनों ने एक फरवरी को संसद तक पैदल मार्च करने की भी घोषणा की है। एक फरवरी को संसद में वार्षिक बजट पेश किया जाएगा।
दिल्ली में ट्रैक्टर रैली पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
दिल्ली में सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रस्तावित ‘किसान गणतंत्र परेड’ के मद्देनजर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान शहर की बिजली आपूर्ति को बाधित करने की धमकी देने के बाद बिजली के उपकेंद्रों पर गश्त भी बढ़ा दी गई है।
एक अधिकारी ने बताया कि निगरानी रखने के लिए करीब छह हजार सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। संदिग्ध लोगों की पहचान करने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा चेहरे से पहचान करने वाली प्रणाली भी प्रमुख स्थानों पर लगाई गई है।
राजपथ पर नजर रखने के लिए ऊंची इमारतों पर शार्प शूटरों और स्नाइपरों को तैनात किया गया है, जहां राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अन्य गणमान्य व्यक्तियों और हजारों लोगों के साथ गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करेंगे।
गौरतलब है कि हजारों किसान पिछले साल 28 नवम्बर से दिल्ली से लगी सीमाओं पर केन्द्र के नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने और उनकी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्यों की कानूनी गारंटी की मांग करे रहे हैं। इनमें अधिकतर किसाल पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं।