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शुभेंदु अधिकारी और नौ विधायक भाजपा में शामिल, चुनाव आने तक ममता टीएमसी में अकेली रह जाएंगी: शाह

By भाषा | Updated: December 19, 2020 22:11 IST

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(जतिन टक्कर)

मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल), 19 दिसंबर पश्चिम बंगाल में नंदीग्राम आंदोलन का चेहरा रहे शुभेंदु अधिकारी शनिवार को नौ विधायकों और तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद के साथ भाजपा में शामिल हो गए। इस राजनीतिक घटनाक्रम से राज्य में भगवा पार्टी का मनोबल बढ़ता नजर आया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव आने तक वह अपनी पार्टी में अकेली रह जाएंगी।

अधिकारी, राज्य में ममता के बाद बड़ा जनाधार रखने वाले तृणमूल कांग्रेस में दूसरे प्रमुख नेता थे। उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल, विधानसभा और तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। साथ ही, महीनों से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए शनिवार को भाजपा में शामिल हो गए, जो आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में एक मजबूत दावेदार बन कर उभरी है। राज्य में यह चुनाव अप्रैल-मई 2021 में होने की संभावना है।

कभी तृणमूल के क्षत्रप रहे अधिकारी राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता में काबिज होने की ममता की कोशिश को नुकसान पहुंचा सकते हैं। दरअसल, अधिकारी के परिवार का जंगलमहल क्षेत्र में और इससे लगे जिलों में करीब 35-40 विधानसभा सीटों पर अच्छा-खासा प्रभाव है। उनके पिता शिशिर अधिकारी ओर भाई दिव्येंदु लोकसभा सदस्य हैं तथा उनका एक अन्य भाई विधायक है।

हालांकि, अधिकारी परिवार के अन्य सदस्य शनिवार को भाजपा में शामिल नहीं हुए, लेकिन उनके शुभेंदु अधिकारी के पीछे मजबूती से खड़े रहने की संभावना है। उनके करीबी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

शाह की रैली में भाजपा में शामिल हुए अन्य नेताओं में वर्धमान पूर्वी लोकसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस से दो बार सांसद रहे सुनील मंडल, तृणमूल कांग्रेस विधायक बनाश्री मैती, शीलभद्र दत्ता, विश्वजीत कुंडु, शुक्र मुंडा और सैकत पांजा, माकपा के तापसी मंडल, भाकपा के अशोक डिंडा और कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव में माकपा के टिकट पर विजयी हुई लेकिन बाद में 2018 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुई दीपाली विश्वास भी भाजपा में शामिल हुई हैं।

शाह ने अधिकारी परिवार के गढ़ मेदिनीपुर में भाजपा की रैली में ममता पर तंज कसते हुए कहा, “जिस तरह से नेता आपकी पार्टी को छोड़ कर जा रहे हैं, चुनाव आने तक ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस में अकेली रह जाएंगी।”

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस का ‘मां, माटी, मानुष’ का नारा ‘वसूली, भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावााद’ में तब्दील हो गया, जिसके परिणामस्वरूप जनता तृणमूल कांग्रेस से दूर जा रही है।

उन्होंने भरोसा जताया कि विधानसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटें जीत कर भाजपा राज्य में अगली सरकार बनाएगी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में कुल 294 सीटें हैं।

उद्योग लगाने के लिए तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार द्वारा किए गए जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चले नंदीग्राम आंदोलन (2007) के मुख्य रणनीतिकार रहे अधिकारी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।

उल्लेखनीय है कि नंदीग्राम आंदोलन ने राज्य में ममता बनर्जी की पैठ मजबूत की और जिसकी परिणति 2011 में 34 साल पुराने वाम मोर्चा शासन के अंत तथा तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के रूप में हुई।

अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं पहली बार अमित शाह से 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान मिला था, उस समय वह भाजपा के महासचिव थे।’’

उन्होंने शाह की सराहना करते हुए कहा, ‘‘जब मुझे कोविड था, तब मेरी पूर्व पार्टी (तृणमूल कांग्रेस) ने मेरे स्वास्थ्य के बारे में नहीं पूछा, जबकि अमित शाह ने दो बार पूछा कि मेरी तबियत कैसी है।’’

उन्होंने रैली में कहा, ‘‘भाजपा, जो कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है, राष्ट्रवाद और बहुलवाद में यकीन करती है। पश्चिम बंगाल किसी राजनीतिक पार्टी की निजी जागीर नहीं है।’’

पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस राज्य को स्थानीय लोग और बाहरी लोग के आधार पर बांटना चाहती है।

अधिकारी ने रैली में कहा, ‘‘इस तरह की संकीर्ण राजनीति के लिए तृणमूल कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए। ’’

उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस भगवा पार्टी के कारण ही अस्तित्व में आई थी।

तृणमूल कांग्रेस से दो दिन पहले ही अपना दो दशक पुराना नाता तोड़ चुके अधिकारी ने राज्य में सत्तारूढ़ दल पर गद्दारों की पार्टी होने का आरोप लगाया, जिसने 1998 में अपने गठन के दौरान भाजपा द्वारा निभाई गई भूमिका को भुला दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे वे लोग गद्दार कह रहे हैं, जो खुद (तृणमूल कांग्रेस के) गद्दार हैं। यदि भाजपा यहां नहीं होती, तृणमूल कांग्रेस अस्तित्व में नहीं आती।’’

मेदिनीपुर में रैली को संबोधित करने से पहले शाह बंगाली संस्कृति और धार्मिक नेताओं से जुड़े स्थानों पर भी गए। उन्होंने संभवत: बाहरी कहे जाने के आरोप के जवाब में ऐसा किया।

सबसे पहले , शनिवार सुबह उत्तर कोलकाता में स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि 19वीं सदी के महापुरुष के आदर्श आज की दुनिया में और भी प्रासंगिक हैं।

पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर आए शाह ने स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि दी और भारत की संस्कृति तथा मूल्यों को विश्वभर में पहुंचाने के लिए उनकी सराहना की।

इसके बाद, शाह ने क्रांतिकारी खुदीराम बोस के पैतृक घर पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि जब बोस को 1908 में अंग्रेजों द्वारा फांसी पर लटकाया जा रहा था तब उन्होंने ‘वंदे मातरम’ का उद्घोष कर देश के युवाओं को प्रेरित किया।

शाह ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले किसानों के साथ संबंध मजबूत करने के प्रयासों के तहत शनिवार को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में एक किसान के घर पर दोपहर भोजन किया।

शाह का यह कदम तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर महत्वपूर्ण है।

शाह राज्य में भाजपा की तैयारियों का जायजा लेने के लिए पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर हैं। शाह शनिवार को यहां पहुंचे और एक स्थानीय मंदिर में पूजा अर्चना की।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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