शिवेसना नेता अडसुल ने उनके खिलाफ दर्ज ईडी के मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी
By भाषा | Updated: September 30, 2021 20:32 IST2021-09-30T20:32:51+5:302021-09-30T20:32:51+5:30

शिवेसना नेता अडसुल ने उनके खिलाफ दर्ज ईडी के मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी
मुंबई, 30 सितंबर शिवसेना नेता आनंदराव अडसुल ने बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा सिटी सहकारी बैंक में कथित तौर पर 980 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के संबंध में उनके खिलाफ दर्ज धन शोधन मामले को बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
पूर्व लोकसभा सदस्य ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा उनके खिलाफ जारी समन के साथ मामले को भी रद्द करने का अनुरोध किया।
74 वर्षीय शिवसेना नेता ने अदालत से उनके आवेदन की सुनवाई लंबित रहने तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने का भी अनुरोध किया।
अडसुल के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमदार की खंडपीठ के समक्ष उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया।
शिवसेना नेता की याचिका में दावा किया गया कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई ''मनमानी और प्रतिशोध'' के कारण की जा रही है क्योंकि उन्होंने अमरावती से लोकसभा सदस्य नवनीत कौर राणा के खिलाफ एक याचिका दायर की थी, जिनका जाति प्रमाण पत्र इस साल जून में उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया था (शीर्ष अदालत ने बाद में उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी)।
अडसुल ने लोकसभा में अमरावती सीट का प्रतिनिधित्व किया था। वह 2019 के आम चुनाव में इसी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी नवनीत कौर राणा से हार गए थे।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को बताया कि धन शोधन के आरोपों की जांच के तहत शिवसेना नेता को समन जारी किया गया था।
जांच एजेंसी ने 27 सितंबर को मुंबई में अडसुल और उनके बेटे अभिजीत अडसुल को तलब किया था, लेकिन पूर्व सांसद ने दिल्ली में पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों का हवाला देते हुए एजेंसी के सामने पेश होने में असमर्थता जतायी थी।
हालांकि, बाद में अडसुल ने स्वास्थ्य संबंधी समस्या की शिकायत की और उन्हें उनके परिवार द्वारा अस्पताल ले जाया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहकारी बैंक में कथित तौर पर लगभग 980 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में अडसुल के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
धनशोधन का यह मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की एक प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें बैंक में ऋण राशि के वितरण और अन्य वित्तीय लेनदेन में कथित अनियमितताओं के आरोप हैं।
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