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अमित शाह ने शिवसेना को दिया करारा जवाब, महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ सकती है भाजपा

By विकास कुमार | Updated: January 5, 2019 11:06 IST

अमित शाह ने महाराष्ट्र बीजेपी के सांसदों के साथ बैठक में अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने को कहा है. शिवसेना ने संघ और भाजपा पर आरोप लगाया है कि हिंदूत्व के नाम पर तमाशा चल रहा है.

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महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के बीच नूराकुश्ती मोदी सरकार के आने के बाद से ही जारी है. शिवसेना कहने को तो एनडीए में उसका सहयोगी है लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ सालों से उद्धव ठाकरे ने भाजपा और पीएम मोदी को निशाने पर लिया है, उससे तो वो कभी-कभी महागठबंधन का नेतृत्व करते हुए नजर आते हैं. उद्धव ठाकरे ने राम मंदिर के मुद्दे पर इस बार भाजपा के साथ-साथ संघ पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि हिंदूत्व के नाम पर तमाशा चल रहा है. 

भाजपा और शिवसेना का संबंध विच्छेद तय 

सेना ने पहले ही एलान कर दिया है कि वे लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ेंगे. और खबर यह भी है कि बीते दिन महाराष्ट्र के बीजेपी सांसदों के साथ बैठक में अमित शाह ने भी उन्हें लोकसभा चुनाव में अकेले उतरने के लिए तैयार रहने को कहा है. इसका मतलब है कि बीजेपी को भी अंदाजा है कि अब शिवसेना के साथ उनके गठबंधन की आशा धूमिल होती जा रही है, क्योंकि शिवसेना और उद्धव ठाकरे मोदी सरकार को हर मोर्चे पर घेरने का काम कर रहे हैं. 

मोदी सरकार में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शिवसेना और भाजपा के रिश्तों पर पूछने पर अक्सर एक मराठी कहावत का उदाहरण देते हैं. ''तेरी-मेरी बनती नहीं लेकिन तेरे बिना मेरी चलती नहीं.'' लेकिन अब पानी कुछ सर के ऊपर से निकल रहा है. शिवसेना मोदी सरकार की अब आलोचना नहीं बल्कि खुलेआम चुनौती दे रही है.  

किसकी रामभक्ति ज्यादा असली है 

बात नरेन्द्र मोदी और अमित शाह तक तो ठीक थी लेकिन जिस तरह से शिवसेना ने संघ पर निशाना साधा है उससे तो यही लगता है कि अब वो भाजपा के साथ आर-पार की लड़ाई करने के मूड में हैं. शिवसेना राम मंदिर को लेकर हाल के दिनों में भाजपा पर हमलावर रही है. उद्धव ठाकरे तो अयोध्या में आरती तक कर आये और साथ ही भाजपा को चुनौती भी देते नजर आये थे कि अगर राम मंदिर नहीं बना तो मोदी सरकार का जाना तय है. 

सबसे बड़ा सवाल है कि मोदी और मोहन भागवत पर तमाशा का आरोप लगाने वाले उद्धव ठाकरे आखिर क्या कर रहे हैं? आखिर क्यों उन्हें भी राम मंदिर की याद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आई. 2015 या 2016 में उद्धव ठाकरे की दहाड़ अयोध्या में क्यों नहीं सुनी गई. दरअसल मराठी राजनीति में अपनी चमक खो रहे उद्धव ठाकरे अपने पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए राम मंदिर का झंडा उठाये हुए हैं. राम में उनकी आस्था कितनी है यह तो राम ही जाने लेकिन संघ पर निशाना साधकर इस बार उन्होंने भाजपा को खुली चुनौती दी है, जिसका असर लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना के साथ गठबंधन पर दिखने वाला है. 

 

टॅग्स :शिव सेनाउद्धव ठाकरेमोहन भागवतआरएसएसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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