स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान से नवाजे जाएंगे लेखक शिरीष खरे, 'एक देश बारह दुनिया' पुस्तक के लिए होंगे सम्मानित

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 20, 2022 13:32 IST2022-10-20T13:00:52+5:302022-10-20T13:32:40+5:30

लेखक और पत्रकार शिरीष खरे की पुस्तक 'एक देश बारह दुनिया' को इस वर्ष स्वयं प्रकाश सम्मान मिलेगा।

shirish khare will get swayam prakash smriti samman this year | स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान से नवाजे जाएंगे लेखक शिरीष खरे, 'एक देश बारह दुनिया' पुस्तक के लिए होंगे सम्मानित

स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान से नवाजे जाएंगे लेखक शिरीष खरे, 'एक देश बारह दुनिया' पुस्तक के लिए होंगे सम्मानित

Highlightsसम्मान के लिए इस पुस्तक को साल 2022 के लिए चयनित करने की अनुशंसा तीन सदस्‍यीय निर्णायक मंडल द्वारा की गई है।काशीनाथ सिंह (वाराणसी), द्यकार राजेश जोशी (भोपाल) और प्रो असगर वजाहत (दिल्ली) निर्णायक मंडल के तीन सदस्य हैं।स्वयं प्रकाश का जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर में 20 जनवरी 1947 को हुआ था।

भोपाल: साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत संस्थान ’स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास’ ने सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में दिए जाने वाले वार्षिक सम्मान की घोषणा कर दी है। न्यास के अध्यक्ष प्रो मोहन श्रोत्रिय ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के इस सम्मान में इस बार कथेतर विधाओं में रिपोर्ताज़ लिए सुपरिचित लेखक और पत्रकार शिरीष खरे की पुस्तक 'एक देश बारह दुनिया' को दिया जाएगा।

सम्मान के लिए तीन निर्णायक मंडल ने इस पुस्तक को वर्ष 2022 के लिए चयनित करने की अनुशंसा की है। निर्णायक  मंडल के वरिष्ठतम सदस्य काशीनाथ सिंह (वाराणसी) ने अपनी संस्तुति में कहा कि युवा लेखक शिरीष खरे का रिपोर्ताज़ लेखन एक साथ वैचारिक और साहित्यिक कसौटियों पर खरा उतरता है।

उनकी पुस्तक 'एक देश बारह दुनिया' उस लेखन परम्परा का विकास है जो रांगेय राघव, अमृत राय और स्वयं प्रकाश जैसे लेखकों ने निर्मित की है। यह सामाजिक सरोकारों वाला ऐसा समर्थ गद्य है जो कथेतर लेखन को भी ऊंचाई देने वाला है। 

निर्णायक मंडल के दूसरे सदस्य कवि-गद्यकार राजेश जोशी (भोपाल) ने शिरीष खरे की पुस्तक 'एक देश बारह दुनिया' की अनुशंसा में कहा कि स्वयं प्रकाश अपने कहानी लेखन के साथ साथ कथेतर लेखन में जिन सामाजिक सरोकारों के लिए सृजनरत रहे उन्हीं सरोकारों को खरे की इस कृति में देखना आश्वस्तिप्रद है। निर्णायक मंडल के तीसरे सदस्य प्रो असगर वजाहत (दिल्ली) थे।

कौन हैं स्वयं प्रकाश?

प्रो श्रोत्रिय ने बताया कि मूलत: राजस्थान के अजमेर निवासी स्वयं प्रकाश हिंदी कथा साहित्य के क्षेत्र में मौलिक योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ढाई सौ के आसपास कहानियाँ लिखीं और उनके पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए थे। इनके अतिरिक्त नाटक,रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध और बाल साहित्य में भी अपने अवदान के लिए स्वयं प्रकाश को हिंदी संसार में जाना जाता है। उन्हें भारत सरकार की साहित्य अकादेमी सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और संस्थाओं से अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले थे।

उनके लेखन पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोध कार्य  हुआ है और उनके साहित्य के मूल्यांकन की दृष्टि से अनेक पत्रिकाओं ने विशेषांक भी प्रकाशित किए हैं। 20 जनवरी 1947 को इंदौर में जन्मे स्वयं प्रकाश का निधन कैंसर के कारण 7 दिसंबर 2019 को हो गया था।  लम्बे समय से वे भोपाल में निवास कर रहे थे और यहां से निकलने वाली पत्रिकाओं 'वसुधा' तथा 'चकमक' के सम्पादन से भी जुड़े रहे।

जानिए शिरीष खरे के बारे में

प्रो श्रोत्रिय ने बताया कि लेखक शिरीष खरे को सम्मान में ग्यारह हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट किये जाएंगे। इस सम्मान के लिए देश भर से बड़ी संख्या में प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं जिनमें से प्राथमिक चयन के बाद श्रेष्ठ कृतियों को निर्णायकों के पास भेजा गया। वर्ष 2021 का स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान मनोज कुमार पांडेय को उनके कहानी संग्रह 'बदलता हुआ देश' के लिए घोषित किया गया था।

साहित्य और लोकतान्त्रिक विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए गठित स्वयं प्रकाश स्मृति न्यास में कवि राजेश जोशी(भोपाल), आलोचक दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर). कवि-आलोचक आशीष त्रिपाठी (बनारस), आलोचक पल्लव (दिल्ली), इंजी. अंकिता सावंत (मुंबई) और अपूर्वा माथुर (दिल्ली) सदस्य हैं। साल 1981 को मध्य-प्रदेश, जिला नरसिंहपुर के आदिवासी बहुल गांव मदनपुर में जन्म। वर्ष 1999 में बारहवीं पास करके अपने गांव से पहली बार राज्य की राजधानी भोपाल की यात्रा। वर्ष 2002 तक भोपाल में पत्रकारिता की पढ़ाई। तब से देश के बारह राज्यों के भीतरी भागों की यात्राएं।

दो दशक से भोपाल, दिल्ली, मुंबई, जयपुर, रायपुर और पुणे में रहते हुए गांव केंद्रित पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय। हाशिये पर छूटे भारत की तस्वीर दर्शाती बहुचर्चित पुस्तक 'एक देश बारह दुनिया' के लेखक। अन्य पुस्तकें खोजी पत्रकारिता पर 'तहकीकात' और स्कूली शिक्षा पर 'उम्मीद की पाठशाला'। खरे भारतीय गांवों पर उत्कृष्ट रिपोर्टिंग के लिए वर्ष 2013 में 'भारतीय प्रेस परिषद' द्वारा सम्मानित हैं। वर्ष 2009, 2013 और 2020 में 'संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष' द्वारा लैंगिक संवेदनशीलता पर न्यूज स्टोरीज के लिए 'लाडली मीडिया अवार्ड' सहित सात राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार पा चुके हैं। 

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