उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान लिये गये निर्णय को लेकर शिंदे संकट में फंसे, विपक्ष ने की इस्तीफे की मांग

By भाषा | Updated: December 20, 2022 22:39 IST2022-12-20T22:37:04+5:302022-12-20T22:39:25+5:30

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर शिंदे से इस्तीफे देने की मांग की। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसे दोनों सदनों में उठाएगी।

Shinde stuck in crisis over decision taken during Uddhav Thackeray government, opposition demands resignation | उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान लिये गये निर्णय को लेकर शिंदे संकट में फंसे, विपक्ष ने की इस्तीफे की मांग

उद्धव ठाकरे सरकार के दौरान लिये गये निर्णय को लेकर शिंदे संकट में फंसे, विपक्ष ने की इस्तीफे की मांग

Highlightsउद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर शिंदे से इस्तीफे देने की मांग कीविपक्ष ने यहां विधानसभा परिसर में मंगलवार को हंगामा भी कियाशिंदे ने कहा, मैंने शहरी विकास मंत्री के रूप में अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया

नागपुर:महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) की पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री रहने के दौरान झुग्गी बस्तियों के लिए आवंटित भूमि को निजी व्यक्तियों को देने संबंधी महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के मद्देनजर विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की। विपक्ष ने यहां विधानसभा परिसर में मंगलवार को हंगामा भी किया। 

इस बीच, शिंदे ने पूर्ववर्ती सरकार में शहरी विकास मंत्री के पद पर रहते हुए कोई भी गलत काम करने के आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने विधानसभा में कहा कि जब एक अपीली प्राधिकारी के रूप में मामला उनके पास आया, तब उन्होंने विवादित भूमि की दर को कम करने या बढ़ाने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया और मौजूदा सरकारी नियमों के अनुसार कीमत वसूलने पर जोर दिया।

शिंदे ने कहा कि जब पिछले सप्ताह के अदालत के आदेश को उनके संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने 20 अप्रैल, 2021 (जब वह एमवीए सरकार में शहरी विकास मंत्री थे) के अपने भूमि आवंटन आदेश को रद्द कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने शहरी विकास मंत्री के रूप में अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया। मैंने अदालत के किसी आदेश में भी हस्तक्षेप नहीं किया है।’’ 

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर शिंदे से इस्तीफे देने की मांग की। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसे दोनों सदनों में उठाएगी। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने भी इस मामले की जांच किए जाने की मांग की। 

अदालत के आदेश ने नागपुर में राज्य विधानमंडल के जारी शीतकालीन सत्र के दौरान शिंदे-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को निशाना बनाने के लिए विपक्षी सदस्यों को एक मुद्दा दे दिया, लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने परिषद में सरकार का दृढ़ता से बचाव किया और मुख्यमंत्री की ओर से कोई भी गलत काम किए जाने से इनकार किया। 

बंबई उच्च न्यायालय ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री रहने के दौरान शिंदे द्वारा झुग्गी निवासियों के लिए रखी गई भूमि को निजी व्यक्तियों को आवंटित करने के फैसले पर हाल में यथास्थिति का आदेश दिया है। 

उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ को 14 दिसंबर को न्यायमित्र एवं अधिवक्ता आनंद परचुरे ने सूचित किया था कि शिंदे ने पूर्ववर्ती एमवीए सरकार में शहरी विकास मंत्री रहने के दौरान नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) को झुग्गीवासियों के लिए आवास योजना के वास्ते अधिग्रहित भूमि 16 निजी व्यक्तियों को देने का निर्देश दिया था। इस फैसले के बाद विपक्षी एमवीए के सदस्यों ने राज्य सरकार के खिलाफ नागपुर में विधानमंडल परिसर में प्रदर्शन किया। 

उन्होंने शिंदे-भाजपा सरकार पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री से इस्फीता देने की मांग की। उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने विधान परिषद में कहा कि उनकी सरकार किसी को महंगे भूखंड कम दाम पर नहीं देती है। बहरहाल, झुग्गी बस्तियों की जमीन निजी व्यक्तियों को आवंटित किये जाने के मुद्दे पर विधानपरिषद में मंगलवार को विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच वाद-विवाद के बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। 

जब सदन में नेता प्रतिपक्ष (एलओपी) अम्बादास दानवे इस मुद्दे पर बयान दे रहे थे, तब राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री चंद्रकांत पाटिल एवं गठबंधन सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी के कई सदस्यों ने इसका विरोध किया तथा उच्च सदन की उपसभापति नीलम गोर्हे से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एलओपी को किसी अन्य दिन समय दें। ऊपरी सदन की कार्यवाही सुबह जैसे ही शुरू हुई, गोर्हे ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, लेकिन दानवे ने शिंदे द्वारा आवंटित भूमि का मुद्दा उठाया। 

दानवे ने कहा, ‘‘नागपुर सुधार न्यास ने झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए साढ़े चार एकड़ भूखंड आरक्षित किया था। हालांकि, पूर्व शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे (अब मुख्यमंत्री) ने इस भूखंड के टुकड़ों को 16 निजी व्यक्तियों को डेढ़ करोड़ रुपये में आवंटित कर दिये थे, जबकि भूमि का मौजूदा मूल्य 83 करोड़ रुपये है।’’ 

दानवे ने कहा, ‘‘यह बेहद गंभीर मामला है। बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने भूमि सौंपने पर पहले ही रोक लगा दी थी और मामला अब भी अदालत में लंबित है। उसके बावजूद, (महा विकास आघाडी सरकार में) शहरी विकास मंत्री के तौर पर शिंदे ने जमीन सौंपने का निर्णय लिया, जो अदालत के कार्य में गंभीर हस्तक्षेप है।’’ हालांकि, पाटिल ने दानवे के बयान का विरोध किया और कहा कि जब उपसभापति ने प्रश्नकाल शुरू करने की घोषणा की थी, तो नेता प्रतिपक्ष को यह मुद्दा बाद में उठाना चाहिए था। 

पाटिल की इस बात का शिवसेना (यूबीटी) के सदस्य अनिल परब ने विरोध करते हुए कहा कि दानवे ने ‘व्यवस्था का प्रश्न’ के तहत यह मुद्दा उठाया है और इसके लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। इसी बात को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच वाद-विवाद शुरू हो गया और उपसभापति को 15-15 मिनट के लिए दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। दो बार के स्थगन के बाद जब कार्यवाही फिर शुरू हुई तब फडणवीस ने इस मामले में टिप्पणी करनी शुरू की। 

उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे को अभी सदन में नहीं उठाना चाहिए था, क्योंकि अदालत ने इस पर कोई फैसला अभी तक नहीं सुनाया है। उपमुख्यमंत्री की इस टिप्पणी पर विपक्षी सदस्य खड़े हो गये और विरोध करना शुरू कर दिया। इसके बाद गोर्हे ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी। इस बीच, महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में विपक्षी दलों ने सरकार पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को विरोध-प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग की।

 विधान भवन स्थित कांग्रेस कार्यालय में एमवीए नेताओं की बैठक के बाद नागपुर में राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार, कांग्रेस नेता नाना पटोले, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहेब थोराट, शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे और अन्य नेताओं ने विरोध- प्रदर्शन किया। एमवीए के नेताओं ने शिंदे सरकार के भ्रष्ट होने को लेकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की।

Web Title: Shinde stuck in crisis over decision taken during Uddhav Thackeray government, opposition demands resignation

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