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शाह के प्रयासों से जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर में शांति के नये युग की शुरुआत हुई: एनएचआरसी प्रमुख

By भाषा | Updated: October 12, 2021 22:22 IST

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नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने मंगलवार को यह कहते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रशंसा की कि उनके "अथक प्रयासों" ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति के ‘‘नये युग’’ की शुरुआत की है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर यहां अपने संबोधन में, पूर्व न्यायाधीश ने यह भी रेखांकित किया कि ‘‘बाहरी ताकतों’’ द्वारा भारत के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के ‘‘झूठे’’ आरोप लगाना बहुत आम हो गया है, ‘‘जिसका विरोध किया जाना चाहिए।’’

एनएचआरसी प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे केंद्रीय मंत्री अमित शाह जी को बधाई देते हुए खुशी हो रही है। आपके अथक प्रयासों ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति और कानून व्यवस्था के एक नए युग की शुरुआत की है।’’

अगस्त 2019 की शुरुआत में, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।

अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किये जाने के बाद कुछ वर्गों के विरोध के बीच जम्मू कश्मीर में कर्फ्यू लगाया गया था और इंटरनेट सेवाओं को लंबे समय तक निलंबित कर दिया गया था। कुछ मानवाधिकार समूहों ने इस मुद्दे पर आशंका व्यक्त की थी।

शाह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार समाज के गरीब, पिछड़े और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए अथक प्रयास कर रही है और इस तरह से उनके मानवाधिकारों की रक्षा कर रही है।

पांच अगस्त, 2019 को, जब राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने के प्रस्ताव और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक विधेयक को मंजूरी दी थी, तब मंत्री ने कहा था, ‘‘अनुच्छेद 370 राज्य में सामान्य स्थिति के लिए सबसे बड़ी बाधा है।’’

इस कदम के बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में विपक्ष की आशंकाओं को दूर करते हुए, शाह ने तब कहा था, ‘‘कुछ नहीं होगा’’ और इस क्षेत्र को एक और युद्धग्रस्त कोसोवो में नहीं बदलने दिया जाएगा।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि थे और विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में एक वीडियो-कॉन्फ्रेंस लिंक के माध्यम से शामिल हुए।

मोदी ने अपने संबोधन में राजनीतिक लाभ और हानि की दृष्टि से मानवाधिकारों की ‘‘चुनिंदा व्याख्या’’ में शामिल लोगों की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह का आचरण मानवाधिकारों के साथ-साथ लोकतंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है।

एनएचआरसी प्रमुख ने मंगलवार को अपने संबोधन में यह भी कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर एक शक्तिशाली इकाई के रूप में उभरा है और इसे एक नयी शक्ति के रूप में मान्यता मिली है, और इसका श्रेय "भारत के लोगों, देश की संवैधानिक व्यवस्था और नेतृत्व" को जाता है।

शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ने इस साल दो जून को एनएचआरसी के नये अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला था।

फरवरी 2020 में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 को संबोधित करते हुए, उन्होंने मोदी को "अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित दूरदर्शी" और एक ‘‘बहुमुखी प्रतिभा वाला’’ नेता बताया था, जो ‘‘विश्व स्तर पर सोचते हैं और स्थानीय रूप से कार्य करते हैं।’’ उनके इस बयान को लेकर विवाद पैदा हो गया था।

इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भारत में लोकतांत्रिक स्थान सिकुड़ता जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने अपने गुजरात के दिनों से मानवाधिकारों का मखौल उड़ाया है। अब उनके साथ जुगलबंदी में एनएचआरसी के अध्यक्ष शामिल हो गए हैं, एक न्यायाधीश जो अपने ही पहले के आदेश पर फैसला सुनाने के लिये बैठे और दावा किया कि हितों का टकराव नहीं है। भारत में लोकतांत्रिक स्थान सिकुड़ता जा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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