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वीडियो: "मुस्लिम औरतों को टिकट देना इस्लाम के खिलाफ बगावत है", अहमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम का विवादित बयान

By रुस्तम राणा | Updated: December 4, 2022 17:30 IST

अहमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम का मुस्लिम महिलाओं के प्रति विवादित बयान सामने आया है। शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने कहा है कि जो कोई मुस्लिम महिलाओं को टिकट देता है वह इस्लाम के खिलाफ बगावत करता है। 

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ठळक मुद्देइमाम ने कहा, मुस्लिम औरतों को टिकट देने से से हमारा मजहब कमजोर होता हैउन्होंने कहा, औरतों का इस तरह से लोगों के सामने आना इस्लाम में जायज नहीं है

अहमदाबाद: गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनावी माहौल है। यहां अंतिम चरण के लिए मतदान सोमवार को होगा। इस बीच रविवार को अहमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम का मुस्लिम महिलाओं के प्रति विवादित बयान सामने आया है। शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी ने कहा है कि जो कोई मुस्लिम महिलाओं को टिकट देता है वह इस्लाम के खिलाफ बगावत करता है। 

न्यूज एजेंसी एएनआई के हवाले से शाही इमाम ने कहा, अगर औरतों का इस तरह से लोगों के सामने आना जायज होता तो उनको मस्जिद आने से नहीं रोका जाता। औरत का इस्लाम में एक मकाम है, तो इसलिए जो कोई भी मुस्लिम औरतों को जो टिकट देते हैं, वो इस्लाम के खिलाफ बगावत करते हैं। इस्लाम के खिलाफ उनका ये अमल है। 

इमाम ने सियासी पार्टियों को संबोधित करते हुए कहा कि आपके पास मर्द नहीं हैं जो आप औरतों को (टिकट दे रहे हैं) ला रहे हैं। इससे हमारा मजहब कमजोर होता है। कमजोर इसलिए होगा, देखिए कर्नाटक में हिजाब का मसला चला। उस पर काफी हंगामा हुआ। अब जाहिर बात है कि अगर आप अपनी औरतों को एमएलए, पार्षद ये वो बनाएंगे, बिना मजबूरी, तो हम हिजाब को महफूज नहीं रख सकते और इस मसले को नहीं उठा सकेंगे। 

अपनी बात को आगे इमाम ने कहा, यदि हम इस मसले को हुकुमत के सामने उठाएंगे तो हुकुमत कहेगी, भई आपकी औरतें असेंबली हॉल में आ रही हैं। पार्लियामेंट में आ रही हैं। मुंसीपार्टी के बोर्ड में जाकर बैठ रही हैं। स्टेज पर वह लोगों से अपील कर रही हैं। चुनाव लड़ने के लिए हर घर जाना पड़ेगा, फिर चाहें वह हिन्दू का हो या मुस्लमान का। इसलिए मैं इसका सख्त मुखालफत हूं। इसलिए अगर चुनाव लड़ना है तो आप मर्द को टिकट दीजिए। जहां मजबूरी नहीं है। हां अगर ऐसा कुछ है जहां ऐसा हमारे देश का कानून होता कि औरतें ही उस सीट से लड़ सकती हैं। तो आप कह सकते थे कि यह मजबूरी है। लेकिन यहां तो कोई मजबूरी नहीं। 

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