कई विपक्षी दलों ने किसानों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को समर्थन देने का फैसला किया

By भाषा | Updated: December 5, 2020 23:49 IST2020-12-05T23:49:53+5:302020-12-05T23:49:53+5:30

Several opposition parties decided to support the 'Bharat Bandh' called by farmers on 8 December | कई विपक्षी दलों ने किसानों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को समर्थन देने का फैसला किया

कई विपक्षी दलों ने किसानों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को समर्थन देने का फैसला किया

नयी दिल्ली/कोलकाता/चेन्नई, पांच दिसम्बर कई विपक्षी दलों ने केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों द्वारा आठ दिसम्बर को बुलाये गये ‘भारत बंद’ को अपना समर्थन देने की शनिवार को घोषणा की और आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन किया।

किसान पिछले 10 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।

इस बीच, सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रहने के बाद अखिल भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष प्रेम सिंह भंगू ने कहा, '' आठ दिसंबर को जोरदार तरीके से भारत बंद होगा।''

बैठक के बाद बीकेयू एकता (उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘सरकार ने कानूनों में कई संशोधनों की पेशकश की है लेकिन हम चाहते हैं कि कानूनों को पूरी तरह निरस्त किया जाए।’’

वहीं, राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के अलावा कई केंद्रीय मजदूर संगठनों ने किसानों के ‘भारत बंद’ के आह्वान को समर्थन देने का निर्णय लिया है। तमिलनाडु में किए गए विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व द्रमुक नेता एम के स्टालिन ने किया।

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह किसानों के धैर्य की परीक्षा नहीं लें।

पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ''आठ दिसंबर भारत बंद'' के हैशटेग के साथ ट्वीट किया, '' कलम उठाइए, अन्नदाता से माफी मांगिए और काले कानूनों को तत्काल रद्द कीजिए।''

उधर, पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा आठ दिसम्बर को बुलाये गये ‘भारत बंद’ को अपना ‘‘नैतिक समर्थन’’ देने का फैसला किया है।

साथ ही पार्टी ने किसानों के साथ एकजुटता जाहिर करते हुए तीन दिनों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में विरोध-कार्यक्रम आयोजित करेगी।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बंगाल में अपने विरोध कार्यक्रमों के दौरान उनकी पार्टी कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग करेगी। पार्टी की मांग है कि सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद नये विधेयकों को संसद की स्थायी समिति या प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए।

बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘हमारी नेता मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों के आंदोलन को पूरा समर्थन देने का वादा किया है। कल, उन्होंने एकजुटता में सड़क पर विरोध प्रदर्शन के लिए तीन दिन के न्यूनतम कार्यक्रम की घोषणा की। हम तत्काल कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हैं।’’

माकपा और भाकपा समेत अन्य वाम दलों ने भी एक संयुक्त बयान जारी कर किसानों के भारत बंद का पूर्ण समर्थन करने की घोषणा की।

इस बीच, किसानों को अपना समर्थन देते हुए द्रमुक ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी से अनुरोध किया कि वह उनके साथ वार्ता करें और तीनों कानूनों को वापस लें।

द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने किसानों को अपना समर्थन देते हुए तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया। इस दौरान, अपने संबोधन में स्टालिन ने कहा कि किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आश्वासन के अभाव समेत कई अन्य मांगों को लेकर कानून का विरोध कर रहे हैं।

स्टालिन ने कहा, “दलालों को हटाने के नाम पर यह कानून किसानों को उन बड़े कारोबारियों, बहुराष्ट्रीय निर्यातकों और संस्थाओं के गुलाम बना देंगे जिनके पास बड़े गोदाम हैं।”

स्टालिन ने पूछा कि कोविड-19 महामारी के दौरान इन कानूनों को पारित कराने की “हड़बड़ी” क्या थी? उन्होंने जानना चाहा कि क्या इस कानून में कृषि कर्ज, खाद सब्सिडी और खेतिहर मजदूरों के लिये न्यूनतम रोजगार गारंटी का प्रावधान है।

उन्होंने कहा, “इनमें से एक भी नहीं है। इसलिये किसान इसका विरोध कर रहे हैं और हम भी।”

स्टालिन ने कहा, “जब तक तीनों कानून वापस नहीं ले लिये जाते, प्रदर्शन जारी रहना चाहिए। प्रधानमंत्री को किसानों को आमंत्रित कर उनसे बातचीत करनी चाहिए।”

वहीं, पटना में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने शनिवार को यहां नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किया और कानूनों की वापसी के लिए आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने का संकल्प लिया।

धरना स्थल पर कांग्रेस और वाम दलों के साथ प्रदर्शन कर रहे राजद नेता ने किसान संगठनों की ओर से आठ दिसंबर को बुलाए गए बंद का समर्थन किया।

जिला प्रशासन ने तेजस्वी और अन्य नेताओं को गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के सामने धरना की अनुमति नहीं दी थी। उसके बाद उन्होंने मैदान के बाहर धरना प्रदर्शन किया।

बाद में, प्रशासन ने तेजस्वी यादव, राजद के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह, पूर्व मंत्री श्याम रजक, कांग्रेस नेता मदन मोहन झा और अजीत शर्मा तथा वामदलों के कुछ नेताओं को अंदर जाकर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की अनुमति दी।

तेजस्वी ने ट्वीट किया, “धनदाता के विरुद्ध अन्नदाता की लड़ाई में, मैं उनके साथ खड़ा हूं। क्या नए कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य के प्रावधान की मांग करने वाले किसानों के समर्थन में आवाज उठाना गुनाह है। यदि यह गुनाह है तो हम हमेशा यह गुनाह करेंगे।

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Web Title: Several opposition parties decided to support the 'Bharat Bandh' called by farmers on 8 December

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