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भारत के ये 7 गाँव नमक, तेल, चावल जैसी चीजों के लिए चीन पर हैं निर्भर, एक ने कहा- हम अपने ही देश में अनाथ हैं

By भारती द्विवेदी | Updated: October 5, 2018 14:00 IST

वहां के स्थानीयों के मुताबिक, जो सबसे पास का बाजार है, वो भी 50 किलोमीटर की दूरी पर है। जिसकी वजह से वो नेपाल के गांवों से चीन की जो भी सामान वे खरीदते हैं, धारचूला के बाजार में मिलने वाले सामानों से सस्ता होता है।

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नई दिल्ली, 5 अक्टूबर: उत्तराखंड के पिथौरगढ़ जिले का एक इलाका है धारचूला। धारचूला घाटी के सात गांव के लोग अपनी हर रोज की जरूरत चीन के सामान से पूरा कर रहा है। सात गांव की लगभग चार सौ फैमिली हर रोज की जरूरत के लिए चीन पर निर्भर है। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा सप्लाई किया जाने वाला राशन बूंदी, गूंजी, गर्ब्यांग, कुटी, नपलचु, नभी और रोंकॉन्ग गांव में समय से नहीं पहुंच पा रहा है। और इसकी वजह वहां की सड़क लिपुलेख, जो कई महीनों तक बंद रहता है। 

कई महीनों तक सड़क बंद रहने के कारण लोगों को राशन समय से नहीं मिल पाता, जिसकी वजह से उनका स्टॉक कम पड़ने लगता है। उस समय फिर वो नेपाल के रास्ते चीन से आने वाली तेल, गेंहू, चावल, नमक और बाकी चीजों पर निर्भर हो जाते हैं। सड़क के अलावा जो दूसरी वजह है वो है पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) के जरिए मिलने वाले अनाज का वितरण। सरकार इस योजना के तहत हर एक परिवार को 2 किलो चावल और किलो गेहूं देती है, जो कि काफी नहीं है।

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए वहां के स्थानीय अशोक ने बताया कि, जो सबसे पास का बाजार है, वो भी 50 किलोमीटर की दूरी पर है। जिसकी वजह से वो नेपाल के गांवों से चीन की जो भी सामान वे खरीदते हैं, धारचूला के बाजार में मिलने वाले सामानों से सस्ता होता है।उनका कहना है कि धारचूला से गांव तक सामान लाने के लिए गाड़ी का किराया भी अधिक लगता है। अगर वो 30 रुपये की नमक खरीदते हैं तो गांव लाने तक उसकी कीमत उनके लिए 70 रुपये हो जाती है। वहां के लोगों का कहना है कि वो अपने ही देश में अनाथ की तरह रहते हैं। सरकार को उनकी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। 

धारचूला के एसडीएम आरके पांडे का कहना है कि हमने सरकार के पास ग्रामीणों का राशन कोटा बढ़ाने की मांग भेज दी है लेकिन अभी यह स्वीकार नहीं हुई है। वहीं पिथौरागढ़ के डीएम सी रविशंकर का कहना हैं कि जैसे ही गांव तक जाने वाले रास्ते सही हो जाएंगे तो राशन सप्लाई की दिक्कत भी दूर कल ली जाएगी।

गौरतलब है कि पिछले साल की बारिश में गांव को जोड़ने वाली सड़क का एक हिस्सा नजांग और लखनपुर के पास टूट गया। जिसके बाद सेना सड़क की मरम्मत की थी। लेकिन तब भी वो सड़क गाड़ी चलने लायक नहींं बन पाई है।  

टॅग्स :उत्तराखण्डचीन
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