सेहरा लगा दूल्हा रूप में सजे महाकाल,दोपहर 12 बजे हुई भस्म आरती
By बृजेश परमार | Updated: February 19, 2023 19:33 IST2023-02-19T19:31:30+5:302023-02-19T19:33:28+5:30
महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनितपुरी ने भगवान महाकालेश्वर को भस्म अर्पित की मंदिर के पुजारी एवं पूरोहितों ने भस्मआरती की । भस्म आरती के आधे घंटे बाद भोग आरती की गई। तत्पश्चात ब्राह्मण भोज का आयोजन होगा। इसके साथ ही 10 दिवसीय शिव नवरात्रि पर्व का समापन हुआ।

भगवान महाकालेश्वर
उज्जैन: शिव नवरात्रि के दसवें दिन भगवान श्री महाकालेश्वर को सेहरा लगाकर दुल्हे के रूप में सजाया गया। दूल्हा रूप की आरती की गई। भक्तों ने उनके इस रूप को निहारा और दर्शन किए। पूर्वान्ह में 11 बजे भगवान का सेहरा उतारा गया ,जिसके पुष्पों को उपस्थित श्रद्धालुओं में बांटा गया। इसके उपरांत निरंकार स्वरूप में महाकाल की वर्ष में एक बार महाशिवरात्रि के दूसरे दिन होने वाली भस्मार्ती दोपहर 12 बजे की गई।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल के अनुसार शनिवार रात्रि 11 बजे से भगवान श्री महाकालेश्वरजी का महाभिषेक पंचामृत से व पांच फलों के रस, गन्ने के रस, गंगाजल, गुलाबजल, भांग, केसर मिश्रित दुध आदि सामग्री से किया गया। इसके उपरांत भगवान को गर्म जल से स्नान कराया गया। नवीन वस्त्र धारण करवाकर सप्तधान (सात प्रकार का अनाज ) मुखारबिंद धारण कर सप्तधान अर्पण किया गया।
सप्तधान्य अर्पण के पश्चात पुजारी बाबा महाकाल को सेहरा बांधकर आभूषण धारण करवाए गए। इसके उपरांत सुबह सेहरा दर्शन आरती की गई। सेहरा चढ़ाने के नेग स्वरूप एक चान्दी का सिक्का व एक चांदी का बिल्बपत्र मंदिर समिति की ओर से शासकीय पुजारी, आचार्य द्वारा भगवान श्री महाकालेश्वरजी को चढ़ाया गया। रविवार को पूर्वान्ह 11 बजे सेहरा उतारा गया । इसके उपरांत भगवान के निरंकारी स्वरूप को हरिओम का जल अर्पण किया गया।
मध्यकाल में दोपहर 12 बजे वर्ष में एक बार होने वाली भस्म आरती की शुरूआत की गई। महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनितपुरी ने भगवान को भस्म अर्पित की मंदिर के पुजारी एवं पूरोहितों ने भस्मआरती की । भस्म आरती के आधे घंटे बाद भोग आरती की गई। तत्पश्चात ब्राह्मण भोज का आयोजन होगा। इसके साथ ही 10 दिवसीय शिव नवरात्रि पर्व का समापन हुआ। महाशिवरात्रि के पश्चात मंगलवार को को चंद्र दर्शन दूज पर भगवान श्री महाकालेश्वर के पञ्चानन दर्शन होंगे। दर्शन दोपहर 3.00 बजे सन्ध्या पूजन उपरान्त रात्रि 10.00 बजे शयन आरती के पूर्व तक होंगे।