पटना: बिहार के राजकीय गर्ल्स हाई स्कूल की 1,000 से अधिक छात्राओं के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए मेघाश्रेय एनजीओ की संस्थापिका सीमा सिंह ने एक बहुआयामी पहल की है। इस सरकारी स्कूल में उन्होंने शिक्षा, सुरक्षा और आधारभूत ढांचे से जुड़ी अहम जरूरतों को समझते हुए एक समर्पित प्रयास किया, जिसने जमीनी स्तर पर बड़ा असर डाला है।
वंचित पृष्ठभूमि से आने वाली छात्राओं की जरूरतों को देखते हुए, सीमा सिंह ने 900 से अधिक शिक्षा किट वितरित कीं—जिनमें कॉपियां, पेन, पेंसिल, पानी की बोतलें, स्वच्छता से जुड़ी सामग्री और अन्य जरूरी शैक्षणिक उपकरण शामिल थे। इन किट्स ने न केवल परिवारों की आर्थिक मदद की, बल्कि छात्राओं को सम्मान और आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई जारी रखने का अवसर भी दिया।
सीमा सिंह ने यह भी समझा कि शिक्षा तब ही फलदायी हो सकती है जब उसे एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण मिले। इसी सोच के तहत उन्होंने स्कूल में एक नई लाइब्रेरी बनवाई, जहाँ छात्राएं सैकड़ों किताबों के माध्यम से ज्ञान प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही, एक विशेष बालिका शौचालय ब्लॉक का निर्माण भी करवाया गया—जो किशोर उम्र की लड़कियों में मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए बेहद जरूरी कदम था।
छात्राओं की आत्मरक्षा और आत्मविश्वास को बढ़ाने के उद्देश्य से, मेघाश्रेय द्वारा 350 से अधिक सेल्फ-डिफेंस ट्रेनिंग (आत्मरक्षा प्रशिक्षण) प्रोग्राम्स का आयोजन किया गया। ये सत्र प्रशिक्षित विशेषज्ञों द्वारा कराए गए, जिनमें छात्राओं को अपनी सुरक्षा के उपाय सिखाए गए और उनमें आत्मबल व स्वतंत्रता की भावना विकसित की गई।
स्कूल दौरे के दौरान सीमा सिंह ने कहा, “सच्चा सशक्तिकरण वहीं से शुरू होता है जब एक लड़की खुद को सुरक्षित, शिक्षित और सम्मानित महसूस करती है। हमारा उद्देश्य है कि हर लड़की—चाहे वो किसी भी पृष्ठभूमि से हो—सीखने, बढ़ने और नेतृत्व करने का अवसर पाए।”
आज राजकीय गर्ल्स हाई स्कूल एक बदले हुए रूप में खड़ा है—एक मिसाल कि सामाजिक नेतृत्व यदि संकल्प के साथ काम करे तो क्या कुछ संभव हो सकता है। सीमा सिंह आज केवल शिक्षा को समर्थन नहीं दे रहीं, बल्कि एक सशक्त युवा पीढ़ी की नींव रख रही हैं।