महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक नहीं लगे : उच्चतम न्यायालय

By भाषा | Updated: April 30, 2021 17:28 IST2021-04-30T17:28:40+5:302021-04-30T17:28:40+5:30

Second wave of epidemic national crisis, ban on seeking help on internet is not stopped: Supreme Court | महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक नहीं लगे : उच्चतम न्यायालय

महामारी की दूसरी लहर राष्ट्रीय संकट, इंटरनेट पर मदद मांगने पर रोक नहीं लगे : उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, 30 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर को ‘‘राष्ट्रीय संकट’’ करार देते हुए शुक्रवार को अधिकारियों को फटकार लगाई और कहा कि इंटरनेट पर मदद की गुहार लगा रहे नागरिकों को यह सोचकर चुप नहीं कराया जा सकता कि वे गलत शिकायत कर रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘सूचना का निर्बाध प्रवाह होना चाहिए, हमें नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए।’’

शीर्ष अदालत ने केंद्र, राज्यों और सभी पुलिस महानिदेशकों को निर्देश दिया कि वे ऐसे किसी भी व्यक्ति पर अफवाह फैलाने के आरोप पर कोई कार्रवाई नहीं करें जो इंटरनेट पर ऑक्सीजन, बिस्तर और डॉक्टरों की कमी से संबंधित पोस्ट कर रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘ऐसे किसी पोस्ट को लेकर यदि परेशान नागरिकों पर कोई कार्रवाई की गई तो हम उसे न्यायालय की अवमानना मानेंगे।’’

न्यायालय की टिप्पणी उत्तर प्रदेश प्रशासन के उस हालिया फैसले के संदर्भ में काफी मायने रखती है जिसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया पर महामारी के संबंध में कोई झूठी खबर फैलाने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।

कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई जारी है।

पीठ देश में वर्तमान और निकट भविष्य में ऑक्सीजन की अनुमानित मांग और इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र जैसे मुद्दों को देख रही है।

न्यायालय ने टिप्पणी की कि अग्रिम मोर्चे पर कार्य कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को भी इलाज के लिए अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हमें 70 साल में स्वास्थ्य अवसंरचना की जो विरासत मिली है, वह अपर्याप्त है और स्थिति खराब है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि छात्रावास, मंदिर, गिरिजाघरों और अन्य स्थानों को कोविड-19 मरीज देखभाल केंद्र बनाने के लिए खोलना चाहिए।

पीठ ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाना चाहिए क्योंकि गरीब आदमी टीके के लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं होगा।

न्यायालय ने पूछा, ‘‘हाशिये पर रह रहे लोगों और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की आबादी का क्या होगा?क्या उन्हें निजी अस्पतालों की दया पर छोड़ देना चाहिए?’’

इसने कहा कि सरकार विभिन्न टीकों के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम पर विचार करे और उसे सभी नागरिकों को मुफ्त में टीका देने पर विचार करना चाहिए।

पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र चरमराने के कगार पर है और इस संकट में सेवानिवृत्त डॉक्टरों तथा अधिकारियों को दोबारा काम पर रखा जा सकता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी टीका उत्पादकों को यह फैसला करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए कि किस राज्य को कितनी खुराक मिलेगी।

पीठ ने केंद्र को कोविड-19 की तैयारियों पर ‘पॉवर प्वाइंट’ प्रस्तुति की अनुमति दे दी।

न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में महामारी की स्थिति पर दिल्ली सरकार की भी खिंचाई की और कहा कि कोई भी राजनीतिक विवाद उत्पन्न नहीं किया जाना चाहिए तथा उसे स्थिति से निपटने में केंद्र का सहयोग करना चाहिए।

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली साजो-सामन संबंधी मुद्दों की वजह से ऑक्सीजन की खेप उठाने में सक्षम नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘राजनीति, चुनाव के लिए है और मानवीय विपदा में इस समय प्रत्येक जीवन की देखभाल करने की आवश्यकता है। कृपया उच्चतम स्तर पर हमारा संदेश पहुंचा दें कि उन्हें राजनीति को एक तरफ रख देना चाहिए तथा केंद्र से बात करनी चाहिए।’’

इसने दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा से कहा कि वह मुख्य सचिव को केंद्र के अधिकारियों से बात करने और राष्ट्रीय राजधानी में समस्याओं का समाधान करने को कहें।

केंद्र ने पीठ के समक्ष ‘पॉवर प्वाइंट’ प्रस्तुति भी दी और कहा कि देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है तथा कोविड-19 राहत के लिए इसकी आपूर्ति में वृद्धि की जा रही है।

इसने कहा कि देश में अगस्त 2020 में ऑक्सीजन का उत्पादन प्रतिदिन जहां लगभग 6,000 मीट्रिक टन था, वहीं आज की तारीख में यह बढ़कर 9,000 मीट्रिक टन प्रतिदिन हो गया है।

सुनवाई अभी जारी है।

पीठ ने महामारी के मामलों तथा इससे होने वाली मौत के मामलों में अचानक हुई वृद्धि के चलते 22 अप्रैल को स्थिति का संज्ञान लिया था और कहा था कि उसे उम्मीद है कि केंद्र ऑक्सीजन, दवाओं सहित आवश्यक सेवाओं और आपूर्ति को लेकर एक ‘‘राष्ट्रीय योजना’’ लेकर आएगा।

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Web Title: Second wave of epidemic national crisis, ban on seeking help on internet is not stopped: Supreme Court

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