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एसईसीसी 2011 आंकड़ा: उच्चतम न्यायायय महाराष्ट्र की याचिका पर 13 दिसंबर करेगा सुनवाई

By भाषा | Updated: December 3, 2021 19:00 IST

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नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सामाजिक-आर्थिक एवं जातिवार जनगणना (एसईसीसी) 2011 में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के जातिगत आंकड़े की जानकारी राज्य को उपलब्ध कराने का केंद्र और अन्य प्राधिकारों को निर्देश देने के लिए महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर वह 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा।

केंद्र ने इस साल सितंबर में इस विषय में शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पिछड़ा वर्ग की जातिवार जनगणना प्रशासनिक रूप से मुश्किल और बोझिल है तथा जनगणना से इस तरह की सूचना हटाना सोच समझ कर लिया गया एक नीतिगत फैसला है।

न्यायामूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार के समक्ष यह याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए आई।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकीलों ने पीठ से कहा कि उन्होंने इस विषय में एक प्रत्युत्तर दाखिल किया है।

पीठ ने कहा कि एक हलफनामा दाखिल किया गया है और इसने कहा है कि आंकड़े उपयोग करने योग्य नहीं हैं।

महाराष्ट्र की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, ‘‘हमने एक प्रत्युत्तर दाखिल किया है और इस बात का जिक्र किया है कि यह सही नहीं है।’’

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की जरूरत है क्योंकि जनगणना अधिनियम की पड़ताल करनी होगी।

महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने कहा कि इस विषय पर तत्काल सुनवाई करने की जरूरत है।

पीठ ने याचिका की सुनवाई के लिए 13 दिसंबर की तारीख देते हुए न्यायालय की रजिस्ट्री को प्रत्युत्तर हलफनामा वितरित करने का निर्देश दिया।

वहीं, नयी याचिकाओं पर याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को न्यायालय ने याचिकाओं की प्रति महाराष्ट्र सरकार के वकील और राज्य निर्वाचन आयोग को देने का निर्देश दिया।

पीठ ने इन याचिकाओं की सुनवाई छह दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।

सरकार की ओर से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सचिव ने हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में कहा गया है कि केन्द्र पहले ही पिछले साल जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर चुका है जिसमे 2021 की जनगणना के दौरान एकत्र की जाने वाली सूचनाओं की श्रृंखला उपलब्ध कराई गई है और इसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों से संबंधित जानकारी सहित अनेक मुद्दों को शामिल किया गया है लेकिन इसमें जाति की किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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