कोरोना काल में सेहतमंद रहने और इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए अगर आप भी शहद का सेवन करते हैं तो सावधान हो जाइए. उसमें चीनी की मिलावट है. सेंटर फॉर साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, सभी बड़े ब्रांड्स के सैंपल टेस्ट में फेल हो गए हैं.
देश की कई बड़ी नामी कंपनियां ग्राहकों को मिलावटी शहद बेच रही हैं. यह खुलासा हुआ है कि सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) की हालिया जांच में. इसमें पाया गया है कि ज्यादातर ब्रांड्स अपने शहद में चीनी की मिलावट करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ सीएसई ने 13 बड़े-छोटे ब्रांड्स के शहद को चेक किया है. इन कंपनियों के शहद में 77 फीसदी तक मिलावट पाई गई. शहद के कुल 22 सैंपल्स चेक किए गए। इनमें सिर्फ पांच ही जांच में सफल पाए गए.
CSE के अनुसार, ये कंपनियां चीन में बनी शुगर सिरप का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि टेस्टिंग में आसानी से पकड़ में न आएं. चीन इन शुगर सिरप को खास तरह के 'डिजाइन' के तहत तैयार करता है ताकि भारतीय प्रयोगशालाओं के परीक्षणों को चकमा दिया जा सके. शहद को एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल गुणों के लिए जाना जाता है. जो हमारी इम्यूनिटी को स्ट्रांग बनाता है. उसी शहद के धोखे में हम चीनी खा रहे हैं, जो हमारा वजन बढ़ाती है. डॉक्टरों के अनुसार, कोविड-19 से अधिक वजन वाले लोगों को ज्यादा खतरा है.
जांच में पता चला कि अलीबाबा जैसे चाइनीज पोर्टल पर ऐसे सिरप की बिक्री हो रही है, जो टेस्ट को सरपास कर सकते हैं. चीनी कंपनियां फ्रक्टोज के नाम पर ये सिरप भारत को एक्सपोर्ट करती हैं. शहद में इसी सिरप की मिलावट के प्रमाण मिले हैं. CSE ने कहा है कि 2003 और 2006 में सॉफ्ट ड्रिंक में जांच के दौरान जो मिलावट पाई गई थी, उससे भी खतरनाक मिलावट शहद में हो रही है. यह मिलावट हमारे स्वास्थ्य को और नुकसान पहुंचाने वाली है.
हालांकि, डाबर और पतंजलि ने इस जांच पर ही सवाल उठा दिए हैं। कंपनियों का कहना है कि इस जांच का मकसद हमारे ब्रांड्स की छवि खराब करना है और ये प्रायोजित लगती है. कंपनियों ने दावा किया कि हम भारत में ही प्राकृतिक तौर पर मिलने वाला शहद इकट्ठा करते हैं और उसी को बेचते हैं. इसे बिना चीनी या और कोई चीज मिलाए पैक किया जाता है.
कंपनियों ने कहा कि शहद की जांच के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी (FSSAI) के नियमों और मानकों का पूरा ध्यान रखा जाता है. डाबर के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा शहद 100 फीसदी शुद्ध और देसी है। हाल में जो रिपोर्ट सामने आई हैं, वो प्रायोजित लगती हैं.